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Rajrishi

वरदानों की वेला है ब्रह्ममुहूर्त का समय – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

प्रेस-विज्ञप्ति
वरदानों की वेला है ब्रह्ममुहूर्त का समय – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
थकान दूर कर ऊर्जा प्रदान करता है योगनिद्रा
षिविर के दूसरे दिन योग साधकों की संख्या बढ़़ी
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बिलासपुर, टिकरापारा, 16 जून.ः- पढ़ाई के लिए प्रातः काल का समय जिसे अमृतवेला या ब्रह्ममुहूर्त भी कहा जाता है, सबसे उत्तम समय है। इस समय का वातावरण शांत व शक्तिषाली होता है और बुद्धि भी व्यर्थ की बातों से मुक्त रहती है जिससे स्मृति पॉवरफूल हो जाती है। यदि इस समय हम सोये रहते हैं तो मानो अमृत से वंचित रह जाते हैं इसलिए कहते भी हैं कि जब भगवान भाग्य बांट रहे थे तब आप सोए थे क्या। क्योंकि इस समय हमारा सबकॉन्षियस माइण्ड भी एक्टिव रहता है। हमें इस समय उठकर कुछ पल ध्यान करके पढ़ाई में लग जाना चाहिये। 20 मिनट का ध्यान हमारे आठ की थकान को दूर कर देता है और 5 मिनट का बॉयलिंग टेम्पर पर किया गया गुस्सा हमारे दो घण्टे कार्य करने की शक्ति को नष्ट कर देता है।
उक्त बातें गुरूनानक स्कूल के महाराजा रणजीत सिंह सभागार में आयोजित योग षिविर के दूसरे दिन पीएससी स्टूडेन्ट्स को संकारात्मक विचार देते हुए टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। आपने सभी शहरवासियों को आग्रह किया है कि इस षिविर का लाभ सभी ले सकते हैं। कल के सत्र में विषेष योगनिद्रा का अभ्यास भी कराया जायेगा जो कि एकाग्रता बढ़ाने व शारीरिक ऊर्जा की वृद्धि में सहायक है। आज के सत्र के पश्चात् सभी मास्टर ट्रेनर्स को दीदी जी ने प्रोटोकॉल के अनुसार योग का अभ्यास कराया।
डिप्टी कलेक्टर आषुतोष चतुर्वेदी जी ने आतिथेय उद्बोधन के रूप में कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए हमारा ज्ञान, हमारी इच्छा और हमारा कर्म एक ही दिषा में जाना चाहिये। ज्यादातर होता यह है कि हम ज्ञान कुछ और लेते हैं,
हमारी इच्छा कुछ और होती है और हमारे कर्मों की दिषा कहीं और होती है जो सबसे बड़ा कारण है कि हमें सफलता नहीं मिल पाती। भगवान पर विष्वास तो करें ही लेकिन इसके साथ स्वयं पर विष्वास का होना भी बहुत जरूरी है। आज के सत्र में योग साधकों की संख्या में वृद्धि हुई। अंत में सभी ने युवा, ये युवा हैं, सबको प्यारे युवा….गीत पर यौगिक जॉगिंग का अभ्यास किया एवं भारत माता की आरती के साथ आज का सत्र सम्पन्न हुआ।

भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

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