मानसिक शांति एवं विष्व शांति के लिए ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में योग अभ्यास शुरू
‘‘माननीय प्रधानमंत्री भ्राता नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में पूरे विष्व में मनाया जा रहा है। इस योग में उन्होंने तन के स्वास्थ्य के लिए आसन-प्राणायाम के साथ-साथ मन के स्वास्थ्य के लिए भी योग व ध्यान को जरूरी बताया है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में तन व मन के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं।’’
1 जून से प्रतिदिन राजयोग ध्यान का विषेष अभ्यासः-
टिकरापारा सेवाकेन्द्र में 1 जून से ही प्रतिदिन प्रातः 6 से 7 एवं सायं 6:30 से 7:30 बजे राजयोग ध्यान का विषेष सामूहिक अभ्यास किया जायेगा। इस अभ्यास में स्वयं को शांति, प्रेम, आनंद आदि गुणों से भरपूर कर विष्वभर में शांति के प्रकम्पन्न फैलाने एवं आत्मिक स्थिति व परमात्म प्रेम की अनुभूति से संबंधित ध्यान का अभ्यास किया जायेगा।
महाराजा रणजीत सिंह सभागार में 15 जून से सात दिवसीय योग-आसन-प्राणायाम षिविर का आयोजन
सेवाकेन्द्र प्रभारी एवं छ.ग. योग आयोग की सदस्या ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने जानकारी दी कि 15 जून से प्रातः 5:30 से 7:30 बजे तक सात दिवसीय योग-आसन-प्राणायाम षिविर का आयोजन किया जा रहा है। गुरूनानक स्कूल स्थित महाराजा रणजीत सिंह सभागार में आयोजित होने वाले इस षिविर में पी.एस.सी. की तैयारी कर रहे छात्रों एवं स्कूली बच्चों की विषेष उपस्थिति रहेगी साथ ही सेवाकेन्द्र से जुड़े साधक एवं योग के प्रति जागरूक व योग सीखने के इच्छुक शहर के सभी नागरिक इस षिविर में भाग ले सकेंगे। षिविर में सामान्य योग अभ्यासक्रम (प्रोटोकॉल) के सभी अभ्यासों को बारीकी से सिखाया जायेगा एवं साथ ही सकारात्मक चिंतन की क्लासेस भी ली जायेंगी। दीदी ने बताया कि केवल एक दिन 21 जून को योग अभ्यास कराने से सभी साधक सही रीति योग नहीं कर पाते इसलिए प्रतिवर्ष 21 जून के पूर्व सात दिवसीय योग षिविर का आयोजन किया जाता है ताकि साधकों को सही सीख देकर अभ्यास कराया जा सके।
टिकरापारा में 15 जून से ही सात दिवसीय राजयोग मेडिटेषन कोर्स का आयोजन
दीदी ने बताया कि भारत के प्राचीन योग अभ्यास जिसकी सीख स्वयं भगवान ने गीता में दी थी उसी राजयोग को सिखाने के लिए 15 जून से ही प्रतिदिन सायं 7 से 8:30 बजे तक सात दिवसीय राजयोग मेडिटेषन षिविर का आयोजन किया जा रहा है।
भ्राता सम्पादक महोदय,
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