Azadi ke Amrit Mahotsav
वित्तीय वर्ष के साथ अपने पापकर्मों का खाता समाप्त करें व पुण्य और दुआओं का खाता बढ़ाएं – ब्रह्मा कुमारी गायत्री

वित्तीय वर्ष के साथ अपने पापकर्मों का खाता समाप्त करें व पुण्य और दुआओं का खाता बढ़ाएं – ब्रह्मा कुमारी गायत्री
*वित्तीय वर्ष के साथ अपने पापकर्मों का खाता समाप्त करें व पुण्य और दुआओं का खाता बढ़ाएं – ब्रह्मा कुमारी गायत्री
*सरल होना ही कठिन है: ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन*
*मीठे स्वभाव के प्रति सभी आकर्षित होते है।*
बिलासपुर: आज वित्तीय वर्ष का शुभारम्भ है और इस समय हम देखते हैं कि जो पिछले वर्ष का हमारा क्लोजिंग बैलेंस होता है वही आज ओपनिंग बैलेंस होता है। इसी तरह आत्मा की यात्रा में भी पाप और पुण्य कर्म साथ चलते हैं। कोशिश करें कि नकारात्मक भावनाएं, विकार, गलतफहमी, बुराइयों का खाता कम हो और प्यार, विश्वास, सकारात्मक व शुभ भावनाओं और सभी की दुआओं का बैलेंस ज्यादा से ज्यादा हो।
ये बातें शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे परमात्मा के महावाक्य जिसे मुरली कहते है, के महत्व पर प्रकाश डालते ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन ने कही। आपने बतलाया कि शतायु जानकी दादी जी कम से कम आठ नौ बार मुरली जरूर पढती थी। मन मे उठने वाले प्रायः सभी शंकाओ का समाधान मुरली से मिल जाता है। आज परमात्म महावाक्य मे सभी बच्चों को अपना व्यवहार बहुत मीठा बनाने की प्रेरणा दी। मीठे बोल से सभी को आकर्षित कर सकते है और इसके लिए कोई खर्च नही करना पडता। आवश्यकता अविष्कार की जननी है।
आज विपरीत परिस्थितियों से जूझने हर मनुष्य कठिनाई अनुभव कर रहा है। परमात्मा कहते है इसका सबसे बडा कारण स्वयं का कठिन स्वभाव है। अगर मनुष्य अपना स्वभाव सरल बना ले तो वे जीवन मे आने वाले विपरीत परिस्थितियों को भी सहज पार कर लेंगे क्योंकि सरल स्वभाव के कारण लोगों की दुआएं और परमात्मा की शक्ति सहज प्रा
प्त होती है। गायत्री बहन ने कहा कि आज सरल होना ही बहुत कठिन है।