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Rajrishi

आंतरिक स्वच्छता के लिए योग जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी शासकीय उन्नत षिक्षा अध्ययन संस्थान में पांच दिवसीय योग प्रषिक्षण सम्पन्न

प्रेस-विज्ञप्ति
आंतरिक स्वच्छता के लिए योग जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
योग के प्रसार में षिक्षकों का विषेष दायित्व
शासकीय उन्नत षिक्षा अध्ययन संस्थान में पांच दिवसीय योग प्रषिक्षण सम्पन्न
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‘‘आसन-प्राणायाम के साथ-साथ तन व मन की स्वच्छता भी योग है। समाज में आज सभी को दिषा प्रदान करने की महत्वपूर्ण भूमिका षिक्षकों की है क्योंकि षिक्षक ही श्रेष्ठ दिषा देकर बच्चो को निरंतर उनके उच्चतम लक्ष्य तक पहुंचाने में निरंतर प्रयासरत रहते हैं। एक-एक षिक्षक एक-एक लाख के बराबर है क्योंकि हर षिक्षक के पीछे अनेक विद्यार्थियों का जीवन है और हर विद्यार्थी देष का भावी निर्माता है। इसलिए इतने विषेष दायित्व को निभाने के लिए आपको नैतिक मूल्यों और दिव्य गुणों की शक्ति से स्वयं को भरपूर करना आवष्यक है। प्राइमरी एवं माध्यमिक स्कूल के विद्यार्थी उस कोमल टहनी की भांति है जिसे आप जिस अनुरूप चाहे उस दिषा में मोड़ सकते हैं। षिक्षक अपने विषय विषेष के साथ-साथ जीवन में विषयों का सार अर्थात् हमारे जीवन में आपसी संबंधों में किस चीज का जोड़ या घटाव करना है या हमारी संस्कृति की ओर बच्चों के संस्कारों को लाना है- ये गहराई से बता सकते है।
उक्त बातें शासकिय उन्नत षिक्षा अध्ययन संस्थान द्वारा मस्तूरी विकासखण्ड के प्राथमिक व माध्यमिक शाला के लगभग 50 षिक्षक-षिक्षिकाओं के लिए आयोजित पांच दिवसीय योग प्रषिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन योग प्रषिक्षण प्रदान करते हुए छ.ग. योग आयोग की मनोनित सदस्य एवं ब्रह्माकुमारीज टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी़ ब्र.कु मंजू दीदी ने कही। आपने बताया कि जब आप दिल की गहराई से बच्चो को पढाते हैं तो उसका प्रत्यक्ष फल आपको स्पष्ठ दिखाई देने लगता है। आपने बताया कि हर बात में समय का प्रबंधन चाहिए। हमें अपने जीवन में जो भी खुषी मिलती है वो मूल्यों के बल पर ही मिलती है। सम्मान देना ही सम्मान प्राप्ति का आधार है। सदैव श्रेष्ठ कर्म करें, सभी का दिल से सम्मान करें क्योकि कहते है ना, कि ‘‘एक वकील की गलती तर्क संगत दलीलो में छिप जाती है, एक इंजीनियर की गलती दीवारों में छिप जाती है, चिकित्सक की गलती श्मषान में छिप जाती है लेकिन एक षिक्षक की गलती बहुत काल तक किसी विद्यार्थी में प्रतिबिम्बित होती रहती है। हमारी गलती सारी दुनिया जान जाती है अगर हम सोचते हैं कि कोई मुझे नही देख रहा है तो हम धोखे में हैं क्यांकि परमात्मा की नजर सदा सब पर होती है।‘‘
कार्यक्रम के अंत में दीदी ने प्रेरणात्मक गीत – जिन्दगी प्यार का गीत है… के माध्यम से सभी को एक्सरसाइज़ एवं एक्यूप्रेषर एवं तत्पष्चात् सहज राजयोग ध्यान का अभ्यास भी कराया। इस अवसर पर प्रषिक्षार्थियां के साथ-साथ अन्य प्रषिक्षक भी उपस्थित थे। इस पांच दिवसीय योग प्रषिक्षण को संपन्न करने में योग प्रभारी डॉ. उल्हास वारे, उज्जैन से पधारे डॉ. मुकेष मेहता, चकरभाठा हाईस्कूल के व्याख्याता डॉ. संतोष तिवारी, श्रीसंतोष रजक एवं अन्य विषय विषेषज्ञों का योगदान रहा।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

 

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