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आपसी स्नेह व एकता से सफलता का संदेष देता है तिल का लड्डू – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
बिलासपुर टिकरापारा :- मकर संक्रान्ति का पर्व ऋतु परिवर्तन की वेला तो है ही परन्तु इससे भी महत्वपूर्ण है कि वर्तमान युग ही संस्कार परिवर्तन करने का अर्थात् नए संस्कारों की क्रान्ति लाने का अनुपम समय है जब भगवान स्वयं इस धरा पर अवतरित होकर गीता ज्ञान के द्वारा सर्व मनुश्यात्माओं के अंदर देवत्व के गुण धारण करा रहे हैं। आज के दिन तिल के लड्डू का विषेश महत्व है जो संबंध, परिवार व संगठन में स्नेह व एकता से सफलता प्राप्त करने का संदेष देता है क्योंकि अकेले तिल को खाने से कड़वा लगता है किन्तु यदि उसमें गुड़ मिला दिया जाता है तो वह आपस में बंध भी जाते हैं और स्वादिश्ट भी लगते हैं।
उक्त बातें मकर संक्रान्ति के अवसर पर टिकरापारा सेवाकेन्द्र में उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। आपने आगे बतलाया कि पतंग आत्मा की उड़ती कला की निषानी है। जब हम षारीरिक भान से अलग हो अपने आत्मा के सात गुणों को अपनाते हैं तो हल्के होकर उमंग-उत्साह में उड़ने लगते हैं। ज्ञान, गुण व षक्तियों का दान सबसे बड़ा दान है साथ ही स्वयं की कमजोरी को अर्पण करना भी दान है। कमजोरी छोड़ना पड़ेगा, देना पड़ेगा ऐसे नहीं सोचना बल्कि तिल के समान छोटी-सी बात समझकर खुषी-खुषी छोड़ देना यही दान का विषेश महत्व है। आज के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है तो दिन बड़ा हो जाता है सर्दी समाप्त होती है एवं इस दिन खिचड़ी भी खाते हैं।
इस अवसर पर सेवाकेन्द्र में तिल के लड्डू व फलों का भोग लगाया गया व सभी भाई-बहनों को दिया गया।
85 वर्शीय सेवानिवृत्त सैनिक षरद बल्हाल जी का किया गया सम्मान…
विजय दिवस के अवसर पर कोसा रायपुर से आये हुए सैनिक, अधिकारी व जवानों ने षरद बल्हाल जी को नौ पदक देकर सम्मानित किया। इसी सम्मान की श्रृंखला में सेवाकेन्द्र में भी आज क्लास के समक्ष बल्हाल जी को पुश्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। ज्ञात हो कि षरद बल्हाल जी मंजू दीदी के पिताश्री हैं।