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Rajrishi

एनटीपीसी सीपत में स्ट्रेस मैनेजमेन्ट विषय पर दो दिवसीय रिट्रीट संपन्न

प्रेस-विज्ञप्ति
अच्छे विचार दूर करते हैं तनाव – ब्रह्माकुमार षिवराज
एनटीपीसी सीपत में स्ट्रेस मैनेजमेन्ट विषय पर दो दिवसीय रिट्रीट संपन्न
‘‘आध्यात्मिकता कोई धर्म नहीं है, स्वयं को व स्वयं में निहीत शक्तियों को पहचानना ही आध्यात्मिकता है। हर व्यक्ति व परिस्थिति के बारे में हम कैसे अच्छा सोचे यह आध्यात्म ही हमें सिखाता है। इसका अच्छा प्रभाव यह पड़ता है कि हमारे मन की शक्ति बढ़ जाती है। आज हमारे जीवन में इंटरनेट, मोबाइल और सोषल मीडिया का अत्याधिक प्रयोग तनाव का मुख्य कारण बना हुआ है। इनमें सकारात्मक बातें तो होती हैं किन्तु नकारात्मक या व्यर्थ विचारों को उत्पन्न करने वाले तथ्यों व समाचारों की अधिकता होती है क्योंकि आज का वातावरण ही नकारात्मक है इसका सीधा प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है और इन बातों में उलझकर हमसे व्यर्थ कर्म होने लगते हैं। इससे हमारे जीवन में बहुत सारी समस्याएं आने लगती हैं। आध्यात्मिकता को अपने जीवन में स्थान देकर श्रेष्ठ चिंतन के माध्यम से स्व का परिवर्तन कर सकते हैं व इन समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं। तनावमुक्ति के लिए हमें कर्म सिद्धांत का भी पता होना आवष्यक है कि जैसा हमारा कर्म होता है वह वैसे ही हमारे तक वापस पहुंचता है। अच्छे कर्मां का परिणाम अच्छा और बुरे कर्मों का परिणाम बुरा।’’
उक्त बातें एनटीपीसी सीपत में स्ट्रेस मैनेजमेन्ट रिट्रीट के प्रथम दिन ब्रह्माकुमारीज़ के सिक्यूरिटी विंग के मुख्य वक्ता, दिल्ली से पधारे कमाण्डर भ्राता ब्रह्माकुमार षिवराज सिंह जी ने कही।
तनावमुक्ति का प्रथम सूत्र : हर हाल में मुस्कुराते रहें…- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने उद्घाटन सत्र में तनावप्रबंधन पर वक्तव्य देते हुए कहा कि जब हम मुस्कुराते हैं तो हमें देखकर दूसरे भी मुस्कुराते हैं अर्थात् हम मुस्कुराकर दूसरों को मुस्कुराना सीखा देते हैं और मुस्कुराने से हमारी कई बीमारियां ऐसे ही ठीक हो जाती हैं। जितना हम शांति, प्रेम और आनंद की गहराई में उतरते हैं उतना ही मूल्यों का अनुभव हमारे जीवन में होने लगता है जिससे आंतरिक खुषी की अनवरत अनुभूति में हम रहने लगते हैं। जिस तनाव में हम रहते हैं वह भी हमारी सोच के कारण होता है और खुष रहना भी हमारी सोच की वजह से होता है। मुष्किल परिस्थिति में स्वयं को व्यवस्थित करके चलना, ये एक विषेष कला है जो सुंदर विचारों के माध्यम से ही जीवन में आती है। आज प्रेम और सम्मान सभी को चाहिये। ये जरूरी नहीं कि जीवन में अधिक रिष्ते हों लेकिन जितने भी हों उनमें मधुरता हो क्योंकि रिष्ते बनाना तो आसान है, मगर उन्हें निभाना मुष्किल है। स्वयं के अंदर चेक करें कि मेरे अंदर कितना प्रेम है और यदि कमी है तो उसे लाउं कहां से??? इसका सही उत्तर यही है कि हम प्रेम के सागर परमात्मा से सर्व संबंध जोड़ लें, इससे ही हमारी आंतरिक शक्ति जागृत होगी।
इस अवसर पर हैदराबाद से पधारे मेडिटेषन विषेषज्ञ एवं मनोवैज्ञानिक भ्राता ब्रह्माकुमार रामाकृष्णा ने अपने प्रयोगों व अनुभवों के आधार पर सभी को गाइडेड मेडिटेषन का अभ्यास कराया और मन की शांति की अनुभूति कराई। कार्यक्रम के दौरान एनटीपीसी के एजीएम भ्राता ए के सामन्ता, रविषंकर कॉल, डिप्टी एमजीआर नीरज, डिप्टी कमाण्डेण्ट दिनेष व संतोष कुमार, असिस्टेंट कमाण्डेण्ट ए.एम. शर्मा सहित सीआईएसएफ के जवान उपस्थित थे।
दो दिवसीय इस रिट्रीट में स्लीप मैनेजमेन्ट, योगा एण्ड एक्सरसाइज, मेडिटेषन सेषन, मैनेजिंग चैलेंजिंग सिचुएषन्स, हार्मोनियर रिलेषनषिप, अंडरस्टैंडिंग सुप्रीम सोर्स एण्ड कनेक्षन, सेल्फ इम्पॉवरमेन्ट, रिसीविंग एनर्जी एण्ड ट्रांसफॉर्मेषन जैसे अनेक विषयों पर क्लासेस का आयोजन किया गया।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)
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