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Rajrishi

कर्म में परफेक्शन के लिए आत्मा को बनायें संपन्न – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

प्रेस विज्ञप्ति
कर्म में परफेक्शन के लिए आत्मा को बनायें संपन्न – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
 
 ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में जन्माष्टमी एवं स्वतंत्रता दिवस का पर्व
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‘‘श्रीकृष्ण एक ऐसा नाम, एक ऐसी छवि जो सर्वोत्कृष्टता को प्रकट करती है, 16 कला सम्पूर्ण, हर रूप में उन्हें हमने सम्पूर्णता में देखा। उनमें हर संबंध निभाने की क्षमता दिखाई देती है। जिसे बच्चे से प्यार है वह उन्हें लल्ला के रूप में देखती, जो अनुरागी होते हैं वे उन्हें राधे-कृष्ण की जोड़ी के रूप में देखते हैं जिन्हें मार्गदर्षक चाहिये वे उन्हें महाभारत के युद्ध में गाइड के रूप में देखते हैं, शासक-प्रषासक का रूप भी उनमें दिखाई देता है या यूं कहें कि आज के समाज में जिस भी भूमिका की आवष्यकता है उसमें श्रीकृष्ण का अभिनय एकदम परफेक्ट रहा है। हम सब भी यही चाहते हैं कि हम भी अपनी हर भूमिका में उत्कृष्टता हासिल करें क्योंकि हम भी कितनी सारी भूमिकाएं अदा करते हैं। लेकिन परफेक्षन न मिलने पर हम निराष हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण है कि हम अपनी भूमिका पर ध्यान देकर कार्य करते हैं कि मैं अच्छी मां बनूं, अच्छा बेटा बनूं, अच्छी बहन बनूं, अच्छी दोस्त बनूं, अच्छा व्यापारी बनूं। श्रीकृष्ण ने रोल अच्छा करने की कोषिष नहीं की उन्होंने अपनी आत्मा को परफेक्ट बनाया। जब आत्मा सर्वगुण संपन्न, 16 कला संपूर्ण बन जाती है तो उसके द्वारा किया गया हर कर्म निष्चिततः परफेक्ट ही होता है। हमें इसे बीज के स्तर पर विचार करना होगा, यदि बीज अच्छा होगा तो पौधा, फूल, फल सभी अच्छे होंगे लेकिन यदि हम सोचे कि तना, पत्तियों को पानी दें और पूरा पेंड़ अच्छा हो जाये, ये संभव नहीं है।’
ये बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा के ‘हार्मनी हॉल’ में जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम के दौरान सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। आपने कहा कि श्रीकृष्ण ने हर कर्म से पूर्व धर्म को सामने रखा चाहे वह संबंध निभाने में हो या फिर युद्ध लड़ने में। धर्म का अर्थ कोई शरीर के जाति-पाति से नहीं है, धर्म तो आत्मा के सतो गुण से संबंधित हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में दिया बेटी बचाओ का संदेष
इस अवसर पर द्रौपदी वस्त्रहरण, सुदामा चरित्र, बाल कन्हैया, महारास जैसे थीम को लेकर बहुत ही मनमोहक व भावनाओं से परिपूर्ण प्रस्तुतियां दी गईं। जिसमें मुख्य रूप से गौरी बहन, भावेश भाई, अमर भाई, योगेश भाई, सुनील भाई दीपक भाई, प्राशी बहन, चांद बहन ने भूमिका निभाई द्रौपदी वस्त्रहरण नृत्य के माध्यम से बेटी बचाओ का संदेष दिया गया। साथ ही राधे-कृष्ण की मनोरम झांकियां सजायी गई।
इस अवसर पर माउण्ट आबू से पधारे हेमन्त भाई ने भी आषीर्वचन दिये और पर्व का आध्यात्मिक रहस्य सभी को बताया। कार्यक्रम का संचालन सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी एवं राजयोग षिक्षिका ब्र,कु, शषीप्रभा बने ने की ।
ईष्वरीय सेवा में,
ब्र.कु. मंजू
बिलासपुर टिकरापारा
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