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Rajrishi

प्यार का संचार व आध्यात्मिकता का प्रसार महिला ही कर सकती है – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाषनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति 1
प्यार का संचार व आध्यात्मिकता का प्रसार महिला ही कर सकती है – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
नारी का उद्धार ही स्वर्णिम युग का द्वार है
महिलाओं द्वारा संचालित विष्व की सबसे बड़ी संस्था है ब्रह्माकुमारीज़
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में महिला दिवस मनाया गया…

बिलासपुर, टिकरापारा :- आज दिन तक हमने अपनी शक्ति को जाना नहीं था जो सुषुप्त अवस्था में हमारे अंदर ही विराजित थी। भगवान स्वयं इस धरा पर आकर नारी शक्ति को आध्यात्म का प्रकाष पूरे विष्व में फैलाने की जिम्मेवारी देते हैं और उनके अंदर की सोई शक्ति को जागृत कर महिला सषक्तिकरण का श्रेष्ठ कार्य कराते हैं। स्वर्णिम युग का द्वार खोलने के लिए नारी का उद्धार करना बहुत आवष्यक है क्योंकि जहां नारियों की पूजा होती है, उनका आदर होता है वहीं देवताएं रमण करते हैं। महि अर्थात् धरती और ला अर्थात् नियम। इस धरती पर निष्छल प्यार का संचार करने वाली और आध्यात्म का प्रकाष फैलाने वाली महिला ही है क्योंकि जो बच्चा अपने पूरे जीवन में जितना नहीं सीख पाता उससे कहीं ज्यादा संस्कार 3 वर्ष की उम्र तक अपनी मां से धारण कर लेता है।
ये बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में महिला दिवस पर आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बताया कि महिलाओं द्वारा संचालित विष्व की सबसे बड़ी संस्था है ब्रह्माकुमारीज़। जो पूरे विष्व में मनुष्य के अंदर देवत्व के गुणों को स्थापित करने व आध्यात्म के प्रकाष को फैलाने का अनुपम कार्य कर रही है। इस अवसर पर अकलतरी गांव के भूपेन्द्र साहू ने जिनकी है बेटियां, वो ये कहते हैं….गीत गाकर सभी बेटियों अर्थात् नारी शक्ति का सम्मान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बहनों व माताओं की उपस्थिति रही।

प्रेस विज्ञप्ति 2
भगवान के प्रेम का रंग सबसे अच्छा – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
दृढ़ता की अग्नि में कमजोरियों को जलाने व बीती बातों को भूलाकर होली मनाने की प्रेरणा दी
कोरोना वायरस से सुरक्षा की दृष्टि से खेली फूलों की होली
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा द्वारा होली को आध्यात्मिक रीति से मनाने का संदेष दिया गया

सारे संसार में कोरोना वायरस का भय फैला हुआ है। जबकि ये भय ही वायरस के आक्रमण व वृद्धि का मुख्य कारण है। वायरस से डरना नहीं है लेकिन सुरक्षा के उपाय जरूर करने हैं। हमें आध्यात्मिक होली खेलनी है जिसमें आत्मा अपने सात गुणों के रंग में रंग जाए। इसमें भी सबसे अच्छा है भगवान के प्रेम के रंग में रंग जाना, यही सबसे पक्का रंग है और सच्ची होली भी है। हमें सबसे ज्यादा तंग करती है भूतकाल की बातें, अर्थात् बीती बात। ये हमारे तनाव को भी बढ़ाती है और हमारे वर्तमान को नष्ट कर देती है। इसके आधार पर हमारा भविष्य भी उज्ज्वल नहीं बन पाता। होली मनाने से पहले अपनी कमजोरी व बुरे संस्कारों को जलाएं व बीती सभी बातों को भूला दें। उसे हो ली सो हो ली कर दें। इसके लिए दृढ़ संकल्प की अग्नि चाहिए।
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में आध्यात्मिक होली मनाने पहुंचे साधकों व षिविरार्थियों को होली का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कही। आपने परमात्म महावाक्य सुनाते हुए कहा कि भगवान के बच्चे होकर एक गलती ये करते हो कि जिन बातों को भूलना चाहिए उन्हें याद रखते हो व हर पल भगवान की याद रहनी चाहिए उन्हें भूल जाते हो। यदि हमसे पुरूषार्थ नहीं भी हो पाए तब भी भगवान के प्यार में मग्न रहो तो यह प्यार हमारे पुरूषार्थ करने की शक्ति को बढ़ा देगा। एक मिनट क्या एक सेकण्ड पहले की भी दर्द देने वाली बातों को भूल जाओ।
बच्चों के साथ स्वयं का भी रखें ख्याल…
दीदी ने कहा कि अभी बच्चों की परीक्षा का समय है ऐसे समय में बच्चों के साथ पैरेन्ट्स का भी तनाव बढ़ जाता है। वे इतने व्यस्त हो जाते हैं कि स्वयं के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य का भी ख्याल नहीं रखते। एक तरफ कमाते हैं दूसरे तरफ स्वास्थ्य का नुकसान कर देते हैं। इसमें मेहनत अधिक और सफलता कम मिलती है। इसलिए दूसरों के साथ स्वयं की सेवा अर्थात् देखभाल भी जरूरी है।
होली के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया जिसमें कु. गौरी, तनु, षिखा व नीता बहन ने अपनी प्रस्तुतियों के द्वारा होली की खुषियां मनाई। मंजू दीदी ने सभी को चंदन का तिलक लगाया व बहनों ने सभी पर फूलों की वर्षा करके रूहानी होली मनाई। दीदी ने सेवाधारी भाई-बहनों के लिए तैयार किये गये टाइटल्स सुनाकर सभी का मनोरंजन किया। अंत में सभी को प्रसाद दिया गया।
प्रति,
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

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