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Rajrishi

प्रियतमों के भी प्रियतम हैं भगवान षिव – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

प्रेस-विज्ञप्ति
प्रियतमों के भी प्रियतम हैं भगवान षिव – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
अनोखा कार्यक्रम आयोजित कर वेलेन्टाइन डे को दिया गया आध्यात्मिक मोड़
दिन भर चलता रहा भगवान को प्रेम पत्र लिखने और बदले में वरदान पाने का सिलसिला
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‘‘यू ंतो वेलेन्टाइन डे को दुनिया में देहधारी प्रेमी-प्रेमिकाओं के दिन के रूप में मनाया जा रहा है लेकिन वहीं ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित महाषिवरात्रि महोत्सव में इस दिवस को आध्यात्मिक मोड़ दिया गया। जैसे मीरा ने श्रीकृष्ण को प्रियतम के रूप में याद किया ऐसे ही यहां प्रियतमों के भी प्रियतम परमपिता परमात्मा षिव के लिए सभी श्रद्धालुओं से प्रेम पत्र लिखने का अनोखा कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसका नाम था ‘प्रेम पत्र प्रभु के नाम और प्रभु वरदान आपके नाम‘। सभी दर्षनार्थी बड़े प्यार से बैठकर प्रभु के लिए अपनी भावनाओं रूपी पत्र लिख रहे थे और बदले में सभी को संस्था की ओर से ईष्वरीय महावाक्यों पर आधारित वरदान दिये जा रहे थे। झांकी देखने और पत्र लिखकर वरदान प्राप्त करने का सिलसिला दिनभर चलता रहा।’’
सेवाकेन्द्र प्रभारी एवं छ.ग. योग आयोग की सदस्य ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने उक्त जानकारी देते हुए यह भी बताया कि यहां प्रतिदिन प्रातः 9 बजे षिव की महाआरती एवं रात्रि 8.30 बजे भगवान षिव व मां भारती की आरती की जा रही है जो सभी को प्रभुभक्ति व देषभक्ति के भाव से भर दे रही है। साथ ही दिनांक 16 से 22 फरवरी तक प्रातः एवं सायं 7 से 8.30 बजे तक टिकरापारा में होने वाले निःषुल्क राजयोग मेडिटेषन षिविर के लिए भी रजिस्ट्रेषन किये जा रहे हैं व छ.ग. योग आयोग द्वारा भारत को स्वस्थ, स्वच्छ एवं व्यसनमुक्त बनाने के महाअभियान से जोड़ने के लिए निःषुल्क सदस्यता दी जा रही है। इसके लिए प्रातः 9 से रात 9 बजे तक मास्टर ट्रेनर्स वहां लगातार उपस्थित रहते हैं।
दर्षनार्थियों के रूझान को देखते हुए इस झांकी को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है…..
दीदी ने बताया कि दर्षनार्थियों के झांकी प्रति रूझान को देखते हुए इस महोत्सव का समापन एक दिन बढ़ाकर 16 फरवरी तक कर दिया गया है। इस झांकी को बहुत मेहनत से बनाया गया है, और कुछ भक्त खराब मौसम की वजह से इसका लाभ भी नहीं ले पाये हैं, उनके लिए ही यह निर्णय लिया गया है।
व्यसनमुक्ति के लिए बनाया गया है व्यसन दान पेटीः-
भगवान षिव ने जहर पीकर देवताओं व दैत्यों को सुरि़क्षत किया था। हम अपनी बुराईयों-व्यसनों को छोड़ने के बजाय अंक का जहरीला फूल भगवान षिव पर चढ़ा देते हैं। जबकि सच्च अंक का फूल तो हमारी बुराईयां हैं। इसके लिए ही व्यसन संकल्प पेटी भी बनाया गया है।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

 

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