प्रेम है सबसे बड़ी थैरेपी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
शबरी नवीन कन्या महाविद्यालय में इंटरपर्सनल साइकोलॉजी थैरेपी पर कार्यषाला का आयोजन
‘‘प्रेम आत्मा का आंतरिक गुण है जिसकी आवश्यकता आज सभी को है। जीवन में सच्चे व निःस्वार्थ प्रेम की कमी हमें मानसिक रूप से कमजोर बना रही है और हम तनाव, अवसाद, चिंता जैसे मनोरोगों का षिकार बनते जा रहे हैं। और मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण हमारे आपसी संबंध तो बिगड़ते ही हैं साथ हम शारीरिक रोगां से भी ग्रसित हो जाते हैं। इन सबसे बचने के लिये हमें सबसे स्वार्थरहित प्रेम करना होगा क्योंकि प्यार के बिना हम जीवन के संघर्ष को समाप्त नहीं कर सकते। हम संबंधियों, मित्रजनों, परिवार के सदस्यों से प्रेम भरे व्यवहार की अपेक्षा रखते हैं। जबकि हमें अपेक्षा रखने के बजाय सभी को प्रेम बांटना होगा, तब वह हमें स्वतः ही मिलने लगेगा। प्रेम बांटने के लिये भी हमें प्रेम की आवष्यकता होगी जिसके लिये हमें प्रेम के सागर परमात्मा से अपना संबंध जोड़ना होगा, और उनकी यथार्थ याद से अपने आपको आत्मा के सात गुणों-सुख, शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति से भरपूर करना होगा। यथार्थ याद के लिये नियमित आध्यात्मिक ज्ञान एवं मेडिटेषन आवश्यक है।’’
उक्त बातें शबरी नवीन कन्या महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में इन्टरपर्सनल साइकोलॉजी थैरेपी विषय पर प्रबुद्धजनों की सभा को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। कार्यक्रम में बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जी. डी. शर्मा जी एवं मनोविज्ञान से जुड़े लगभग 200 प्रोफेसर मौजूद थे।