Rajrishi
ब्रह्माकुमारीज़ के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा की पुण्यतिथि मनाई गई।
प्रेस-विज्ञप्ति
सहनषीलता व समर्पणता के महान आदर्ष थे पिताश्री ब्रह्मा – ब्र.कु. मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा की पुण्यतिथि मनाई गई।
‘‘पिताश्री ब्रह्माबाबा का सबसे पहला कदम था समर्पणता। दिव्य साक्षात्कार के बाद परमात्म श्रीमत के आधार पर ज्ञान यज्ञ की स्थापना के लिए उन्होंने अपना तन-मन-धन व पूरा जीवन ईष्वरीय कार्य के लिए समर्पित कर दिया। आध्यात्म के मार्ग में उनका दूसरा कदम था सहनषीलता। संस्था की स्थापना के बाद अनेक प्रकार की परिस्थितियों का सामना व अनेक व्यक्तियों के विरोध, अपषब्द को बहुत ही शीतलता के साथ सहन किया व उनके प्रति हमेंषा रहम व क्षमा का भाव रहा। एक विष्वपिता के समान उनका व्यवहार था और सर्व आत्माओं के परमपिता ज्योति स्वरूप परमात्मा षिव के महावाक्यों में भी उन्हें प्रजापिता की उपाधि दी गई। उन्होंने अपने जीवन में मैं व मेरे पन का सम्पूर्ण त्याग कर दिया, अंत के समय में उनकी तपस्या, उनका पुरूषार्थ बहुत बढ़ गया। उनका जीवन तपस्या मय हो गया। कर्मातीत, कर्मयोगी बन गए। गीता के अठारहवें अध्याय का सार नष्टोमोहा, स्मृतिस्वरूप तक उनकी स्थिति पहुंच गई। आज संस्था ने वटवृक्ष का रूप जो धारण किया है वह उन्हीं की अटूट तपस्या व त्याग का परिणाम है’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र की प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने संस्था के संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा के पुण्यतिथि के अवसर उपस्थित सभी साधकों को संबोधित करते हुए कही। दीदी ने बताया कि पिताश्री जी की पुण्यतिथि पर विष्व के समस्त सेवाकेन्द्रों में आज अमृतवेले से ही योग-साधना चलती रहती है। सभी साधक आज के दिन विषेष मौन साधना का अभ्यास करते हैं। दीदी ने आज सभी साधकों को सेवाकेन्द्र के प्रकम्पन्न का महत्व और प्रतिदिन के सत्संग अर्थात् ज्ञान मुरली श्रवण का महत्व बताते हुए कहा कि इससे हमारी शंकाओं का समाधान होता है, मानसिक शक्ति मिलती है, परमात्म मिलन का अनुभव होता है और सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसे संगठन में ईष्वरीय परिवार की अनुभूति होती है जिससे अवसाद जैसे मानसिक रोग भी समाप्त हो जाते हैं। साथ ही यहां प्रतिदिन योग-साधना होने से वातावरण शक्तिषाली होता है जिससे हमारी निराषा दूर होकर उमंग उत्साह आता है। यहां आने वाले वाले बड़े-बुजुर्गों को देखने से जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)