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Rajrishi

ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा ग्यारह दिनों तक मनाया जा रहा 85वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती महोत्सव

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
महाशिवरात्रि पर्व पर होगी परमात्मा शिव के वरदानों की अमृतवर्षा – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
प्रथम दिन शान्त स्वरूप भव पर टॉक शो का आयोजन
ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा ग्यारह दिनों तक मनाया जा रहा 85वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती महोत्सव

बिलासपुर टिकरापारा – प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा त्रिमूर्ति शिव जयन्ती का पावन पर्व बहुत धूमधाम से 11 दिनों तक मनाया जा रहा है। मुख्यालय माउण्ट आबू से सभी सेवाकेन्द्रों में शिव वरदानों की अमृत वर्षा का अनुभव करने हेतु दस वरदान भेजे गए हैं। इन्हीं दस वरदानों पर टिकरापारा सेवाकेन्द्र में प्रतिदिन शाम 7.30 से 8 बजे ऑनलाइन टॉक शो का आयोजन किया जा रहा है। सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने जानकारी दी कि ऑनलाइन के साथ सेवाकेन्द्र पर सम्मुख उपस्थित होकर भी टॉक शो का लाभ लिया जा सकता है। कर्म करते हुए भी उसी वरदान का स्वरूप बन अनुभवों के सागर में समाये रहें तो सहजयोगी जीवन का अनुभव होता रहेगा।
प्रथम दिन शान्त स्वरूप भव पर आयोजित टॉक शो में मंजू दीदी के साथ, नागपुर से पधारे आर एस एस के कार्यवाह भ्राता सुशील सगदेव जी, ब्र.कु. गायत्री बहन व ब्र.कु. पूर्णिमा बहन शामिल रहे। कार्यक्रम की एन्करिंग एफ एम रेडियो की आरजे नुपूर बहन कर रही हैं जो लोगों के सवालों का अनुभवी वक्ताओं से समाधान ले रही हैं।
मंजू दीदीजी ने बतलाया कि शान्ति एक बहुत बड़ी शक्ति है और आत्मा की पूर्णता की स्थिति है शान्ति के लिए भटकने की आवश्यकता नहीं है शान्ति तो आत्मा का स्वरूप है। जब हम अपने को इस शरीर से अलग चैतन्य शक्ति आत्मा और शान्ति के सागर परमात्मा की संतान समझते हैं तो स्वतः ही शान्ति अनुभव होने लगती है क्योंकि यही तो हमारा स्वधर्म है।
दीदी ने बतलाया कि जिस प्रकार प्यार के लिए कोई उम्र नहीं होती, उसी प्रकार मेडिटेशन के लिए कोई उम्र की सीमा नहीं है। मेडिटेशन का अर्थ ही है भगवान से प्रेम करना।
सुशील सगदेव जी ने रोजमर्रा के जीवन में शांति की आवश्यकता बताते हुए कहा कि प्रैक्टिकल लाइफ में जब कोई घटना घटित होती है तो हम अपने मूल स्वधर्म को भूल जाते हैं और उस घटना को ही याद करते हुए अशांत हो जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि हमें कोई अपशब्द कहता है तो कुछ क्षण के लिए तो हमें ऐसा लगता है कि हम क्या न कर जाएं लेकिन यदि उस क्षण हम अपने मन को शान्त करके व्यवहार करते हैं तो सामने वाला भी शांत रहेगा और हमारा मन भी शांत रहेगा।
छोटी-छोटी बातों से मन को अशांत करना बिल्कुल भी समझदारी नहीं है। इसके लिए हमें प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट मेडिटेशन करना आवश्यक है और जब भी कोई घटना हमारे सामने आये तो कुछ पल के लिए मन को शांत करना भी मेडिटेशन का ही एक अंश है जो काफी हद तक हमें मदद करता है। आपने जीवन में मेडिटेशन द्वारा परिवर्तन के कुछ उदाहरण भी दिए।
राजयोग शिक्षिका ब्र.कु. गायत्री बहन ने बतलाया कि मेडिटेशन के लिए किसी स्थान विशेष की आवश्यकता नहीं है हम अपने कर्मक्षेत्र में कुछ पल निकालकर मेडिटेशन का अभ्यास कर सकते हैं। हालांकि किसी स्थान विशेष का जैसे मंदिर, मेडिटेशन सेन्टर या घर में पूजा स्थल का महत्व तो होता ही है क्योंकि वहां हमें शुद्ध व शांत वातावरण मिलता है जिससे मेडिटेशन में मदद मिलती है।
शान्त स्वरूप का अनुभव कराने के लिए राजयोग शिक्षिका ब्र.कु. पूर्णिमा बहन ने मेडिटेशन का अभ्यास कराया। मेडिटेशन में सभी ने शान्ति की अनुभूति की।

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