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Rajrishi

योग अभ्यास का आरंभ शुद्ध संकल्पों व ईश्वर की याद से करें – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाषनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
योग अभ्यास का आरंभ शुद्ध संकल्पों व ईश्वर की याद से करें – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
आॅनलाईन क्लास के माध्यम से योग अभ्यास क्रम (प्रोटोकाॅल) के अनुसार कराया जा रहा योगाभ्यास

बिलासपुर, टिकरापाराः- योग का आरंभ शुद्ध संकल्पो से ईश्वर की प्रार्थना से करना चाहिए क्योंकि इससे मन की शांति के लिए सहायक वातावरण बनता है। हमें अपने मन को हमेशा संतुलित रखना है, इसमे ही हमारा आत्मविकास समाया हुआ है, इसके साथ ही सभी का एक ही भाव हो, कि हम स्वयं के प्रति, कुटुम्ब, कार्य, समाज, एवं विश्व के प्रति शांति, आनंद एवं स्वास्थ्य के प्रति भी सभी को जागरूक करें। योगाभ्यास शांति और आनंद के वातावरण में शान्त शरीर और मस्तिष्क के साथ खाली पेट या हल्के पेट करना चाहिए। यदि कमजोरी महसूस हो तो गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पी लें। शारीरिक गतिविधियों की सहजता के लिए हल्के और आरामदायक सूती कपड़ों को प्राथमिकता दें। कोई पुरानी बीमारी, दर्द या हृदय संबंधी समस्या होने पर योगाभ्यास करने से पूर्व किसी चिकित्सक या योग चिकित्सक से परामर्ष अवश्य करें। योग अभ्यास धीरे-धीरे, तनावमुक्त स्थिति में, शरीर और श्वांस की जागरूकता के साथ किया जाना चाहिये। सांस को तब तक न रोकें जब तक ऐसा करने के लिए न कहा जाये। शरीर को कसा हुआ न रखें व किसी अभ्यास को झटके के साथ न करें। अभ्यासों को अपनी क्षमताओं के अनुसार करें। सत्र का अंत गहन मौन या शांति पाठ से करें। अभ्यास सत्र के बीस-तीस मिनटों के उपरान्त ही भोजन या स्नान करना उचित होगा।
ये बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में ‘योग एट होम एण्ड योग विद् फैमिली’ थीम के तहत आयोजित  आॅनलाइन योग शिविर का संचालन करते हुए छ.ग. योग आयोग की पूर्व सदस्य एवं सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। दीदी ने बताया कि यदि हम तीन चार दिनों तक सामान्य योग अभ्यास क्रम (प्रोटोकाॅल) के अनुसार योगाभ्यास करेंगे तो हम सही तरह से सीख जायेंगे व 21 जून को पूरे विश्व के साथ योग करने में हमें कोई असहजता नहीं होगी।
बहनों व साधकों ने किया आठ पदों पर योगाभ्यास
दीदी ने प्रोटोकाॅल के अनुसार सेवाकेन्द्र की बहनों व आॅनलाइन जुड़े साधकों को योग अभ्यास कराया जिसमें प्रार्थना, षिथिलिकरण अभ्यास, खड़े होकर, बैठकर, पेट के बल लेटकर, पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले योगासन, कपालभाति, अन्य प्राणायाम, ध्यान, संकल्प एवं शांतिपाठ शामिल थे।
दीदी ने बताया कि यूं तो प्रोटोकाॅल की विधि इन्टरनेट पर उपलब्ध है लेकिन फिर भी किसी को पुस्तिका निःषुल्क चाहिए तो वे टिकरापारा स्थित सेवाकेन्द्र में सम्पर्क कर सकते हैं।

प्रति,
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

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