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Rajrishi

सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने निरंतरता जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ

प्रेस विज्ञप्ति

 

*सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने निरंतरता जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

 

*मेडिटेशन के बेसिक कोर्स का आज अंतिम दिन, कल से एडवांस कोर्स आरंभ*

बलौदा, 22 सितम्बर :- नकारात्मक जीवनशैली एक जंगल के समान व सकारात्मक जीवनशैली एक बगीचे के समान है जिस प्रकार एक जंगल बनाने के लिए मेहनत नहीं लगती लेकिन फूलों का बगीचा बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। उसी प्रकार जीवन में सकारात्मकता लाना कोई ओवरनाइट प्रोसेस नहीं है जो एक ही बार के सत्संग से हम सकारात्मक दृष्टिकोण वाले बन जाएं। इसके लिए निरंतर अच्छे चिंतन की आवश्यकता होती है। अच्छे चिंतन के लिए अच्छी किताबों का अध्ययन, प्रतिदिन सत्संग या अच्छे लोगों से मिलना माध्यम हो सकते हैं।

 

उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ शिव-दर्शन भवन बलौदा में चल रहे मेडिटेशन के बेसिक कोर्स के छठवें दिन वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बताया कि कलयुग के समय में आत्मा रूपी बैटरी डिस्चार्ज हो चुकी है। रोज के सत्संग से मिली शिक्षाओं से हमें स्वयं की जांच करने की प्रेरणा मिलती है। यदि हम आज कोई गलती करते हैं, क्रोध, ईर्ष्या, नफरत आदि अवगुणों के वशीभूत हुए होते हैं तो सत्संग से हमें वह गलती रियलाइज होती है और मेडिटेशन से हमें परिवर्तन करने की शक्ति मिलती है।

 

दीदी ने तीसरे, चौथे व पांचवे दिन हमारा लक्ष्य, परमात्मा का सत्य परिचय व तीनमुखी, चारमुखी व पंचमुखी ब्रह्मा का रहस्य बताया। आपने कहा कि ईश्वर से अपना संबंध जोड़कर अपनी विशेषताओं को समाज सेवा व विश्व परिवर्तन के कार्य में लगाना ही मानव जीवन का उद्देश्य है। वर्तमान संगमयुग में स्वयं भगवान शिव इस धरा पर अवतरित होकर भारत देश में आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना कर अटल, अखण्ड राज्य की स्थापना कर रहे हैं।

 

भगवान एक हैं व तैंतीस करोड़ देवी-देवताएं हैं यह बताते हुए आपने भगवान को परखने की कसौटियां दी और कहा कि जो सर्वधर्म मान्य, सर्वोच्च, सर्वोपरि, सर्वज्ञ और सर्व गुणों में अनंत हो उन्हें भगवान कहेंगे। हम देखेंगे कि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग अर्थात् ज्योति स्वरूप परमात्मा शिव को सभी धर्मां में स्वीकार किया गया है। क्रिश्चयन धर्म में गॉड इज़ लाइट, सिक्ख धर्म में एक ओंकार निराकार, मुस्लिम धर्म में नूर के रूप में ईश्वर की मान्यता है और हिन्दू धर्म में तो है ही ज्योतिर्लिंग और उन्हें ही ब्रह्माकुमारीज़ में प्यार से शिव बाबा कहते हैं। बाबा शब्द पिता के लिए प्रयोग किया जाता है। भगवान शिव सर्वाच्च हैं क्योंकि उनसे ऊंची शक्ति दुनिया में कोई नहीं है। वे सर्वोपरि हैं क्योकि सुख-दुख के चक्र में नहीं आते, सर्व बंधनों से मुक्त हैं वे ही सदाशिव हैं। वे सर्वज्ञ भी हैं क्योंकि तीन लकीर त्रिकालदर्शी व त्रिलोकीनाथ होने का प्रतीक हैं। उन पर तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाया जाता है क्योंकि ब्रह्मा, विष्णु व महेश के भी रचयिता हैं।

 

दीदी ने सभी को गाइडेड मेडिटेशन कमेंट्री के माध्यम से प्रतिदिन मेडिटेशन की अनुभूति भी कराई।गुरुवार से सभी के लिए एडवांस कोर्स का आयोजन किया जा रहा है दीदी ने जानकारी दी कि यहां के सभी कोर्सेज, मेडिटेशन व पॉजिटिव थिंकिंग की रेगुलर क्लासेस निशुल्क हैं इसमें सभी आयु वर्ग के साधक भाग ले सकते हैं..

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