Connect with us
 

Rajrishi

सत्गुरू के संग से छूट जाती हैं बुराईयां – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
सत्गुरू के संग से छूट जाती हैं बुराईयां – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
सत्संग करना ही सत्गुरू का संग है
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया गया…

बिलासपुर, टिकरापाराः- गुरू एक तेज हैं, जिनके आते ही अज्ञान के अंधकार समाप्त हो जाते हैं, गुरू वो मृदंग हैं जिनके बजते ही अनहद नाद सुनने शुरू हो जाते हैं, गुरू वो ज्ञान हैं जिनके मिलते ही भय समाप्त हो जाता है, गुरू वो दीक्षा है, जो यदि सही मायने में मिल जाए तो भवसागर पार हो जाते हैं, गुरू वो सत् चित् आनंद है जो हमें हमारी पहचान देते है। गुरू वो बांसुरी है जिसके बजते ही मन और शरीर आनंद अनुभव करता है, गुरू वो अमृत है जिसे पीकर कोई कभी प्यासा नहीं रहता है, गुरू वो कृपा है जो सिर्फ अच्छे शिष्यों को विशेष रूप से मिलती हैं और कुछ उन्हें पाकर भी समझ नहीं पाते हैं। गुरू अनमोल खजाना हैं। आज गुरूओं, सन्यासियों व महापुरूषों की पवित्रता के बल पर ही यह धरती थमी हुई है। यदि ऐसे पावन व्यक्ति संसार में न होते तो अपवित्र कर्म अपने चरम पर पहुंच जाता और सारी दुनिया विकारों की आग में कब की जल चुकी होती। जिस प्रकार सुर के बिना तान नहीं मिल सकती उसी प्रकार गुरू के बिना ज्ञान नहीं मिल सकता। गुरूओं द्वारा प्राप्त ज्ञान जीवन के किसी न किसी मोड़ पर काम जरूर आता है। यदि मन में तीव्र इच्छा हो तो गुरूओं की आज्ञा का पालन करते-करते  एक समय भक्ति की पूर्णता का समय आता है और परमसत्गुरू परमात्मा की पहचान मिलती है और उनसे सत्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। वर्तमान समय संगमयुग पर अवतरित परमपिता, परमशिक्षक, परमसत्गुरू परमात्मा शिव के संग से हमारी सभी बुराईयां धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं और हमें मुक्ति व जीवनमुक्ति की प्राप्ति होती है।
उक्त बातें गुरू पूर्णिमा के अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में आयोजित सत्संग में साधकों को आॅनलाइन सम्बोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही।
जिनसे भी सीखने को मिले वे गुरू की तरह…
दीदी ने कहा कि हम जिनसे भी कुछ सीखते हैं वे भी हमारे गुरू की तरह हैं। 5 वर्ष की आयु तक हम सबसे ज्यादा तो अपनी मां से ही सीख लेते हैं इसलिए मां को प्रथम गुरू भी कहते हैं। दत्तात्रेय के भी 24 गुरू थे क्योंकि वे भी जिनसे कुछ सीखते उन्हें अपना गुरू मानते थे। दीदी ने बतलाया कि ब्रह्माकुमारीज़ के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा ने भी परमात्मा की प्राप्ति के लिए 12 गुरूओं का सानिध्य प्राप्त किया। दीदी ने स्वयं के जीवन का तीन गुरूओं व परमसत्गुरू प्राप्ति का अनुभव भी साझा किया। अंत में बहनों ने सत्गुरू परमात्मा शिव को भोग स्वीकार कराया।

Continue Reading
Advertisement