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Rajrishi

स्वउन्नति के लिए बनें व्यर्थ से मुक्त… – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

प्रेस विज्ञप्ति
स्वउन्नति के लिए बनें व्यर्थ से मुक्त… – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में सामूहिक योग साधना कार्यक्रम का आयोजन
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आत्मिक उन्नति के लिए हर प्रकार के व्यर्थ से मुक्त होना होगा। इसके लिए मोबाइल का अधिक प्रयोग उसमें भी व्हाट्सअप, फेसबुक आदि पर समय बिताना बन्द करना होगा। यदि हम ये सोंचते हैं कि खराब, नकारात्मक या व्यर्थ बातों को तो हम डिलीट कर देते हैं किन्तु हमने जो एक बार पढ़ा है वह हमारे अंदर तो चला ही जाता है और हमारे अवचेतन पर असर कर जाता है। और यही व्यर्थ हमारे जीवन में तनाव का कारण बन जाता है जो कुछ समय बाद अवसाद का रूप ले लेता है। साथ ही दूसरों की कमी-कमजोरी देखना या वर्णन करना, भगवान की मत छोड़कर मनमत या परमत पर चलना भी व्यर्थ को अपनाना है। इससे बचने के लिए प्रतिदिन सुबह दिनभर के लिए अपनी दिनचर्या का चार्ट बनायें, जितना हो सके कम बोलें, प्रातः मुरली क्लास का मनन-चिंतन करें और कर्मक्षेत्र में हर वक्त परमात्मा की स्मृति में रहकर कार्य करें।
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र के हार्मनी-हॉल में स्वउन्नति के लिए आयोजित सामूहिक योग-साधना कार्यक्रम में उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही।
गुणों को अपनाने के लिए प्लानिंग व चेकिंग जरूरी
आपने कहा कि मन का कार्य है विचार करना, यदि हम उसे अच्छे विचार नहीं देंगे तो वह दूषित एवं व्यर्थ विचार करने लगेगा, हम उसका दमन नहीं कर सकते। मन को सुमन बनाने की आवष्यकता है। इसके लिए अच्छे विचारों के चिंतन की आवष्यकता है। किसी गुण या विषेषता को अपनाने के लिए जब हम संकल्प लेते हैं या प्रतिज्ञा करते हैं तब उसे अमल में लाने के लिए उसकी प्लानिंग जरूरी है, इससे ही वह प्रैक्टिकल जीवन में धारण होगी। यदि धारण नहीं होती तो उसकी चेकिंग जरूरी है और जो कमी रह गई उसे दूर कर फिर से प्रयास करना होगा, तब ही सफलता प्राप्त होगी।
कहीं लग न जाये धर्मराज की अदालत के गम्भीर आरोप…
धर्मराज की अदालत के गम्भीर आरोपों का वर्णन करते हुए मंजू दीदी ने कहा कि दैहिक दृष्टि रखने, विकारों के वषीभूत हो विकर्म करने, समय व्यर्थ गंवाने, परचिंतन, परदर्षन, परमत, प्रपंच में रहकर इस जीवन के महत्व को न समझने, दूसरों को दुख देने वाले, कटु वचन, टॉंट कसने वाले बोल बोलने, सेवा में समय न देने, दूसरों का अकल्याण करने, परमात्मा की याद में भोजन न करने, ईष्वरीय मर्यादाओं में न चलने, चोरी करने, झूठ बोलने, साधना को छोड़ साधनों के वष हो समय बर्बाद करने, दूसरों की उन्नति में बाधक बनने, अमृतवेले न उठ परमात्मा को याद न करने, स्वयं के पापों को परमात्मा की याद से भस्म न करने, ईष्वरीय ज्ञान मिलने पर भी खुष न रहने, स्वयं की स्थिति निर्विकारी न बनाने जैसे अनेक आरोप हम पर लग सकते हैं जिससे हमें इसकी कड़ी सजा मिलेगी। इससे बचने के लिए अपने को चेक कर चेंज करना है और स्वयं साक्षी बनकर इन बातों का स्वयं पर आरोप लगाकर स्वयं ही उसका निदान करना है।
साइलेन्स की शक्ति बढ़ाने की आवष्यकता-ब्रह्माकुमार रूपेष भाई
माउण्ट में भारी बारिष व प्राकृतिक आपदाओं की वजह से बिलासपुर न पहुंच पाने पर पीस ऑफ माइण्ड चैनल के प्रचलित कार्यक्रम ‘समाधान’ के एंकर ब्रह्माकुमार रूपेष भाई ने ऑडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसा नाजुक समय आने वाला है जो सभी प्रकार की कनेक्टिविटी कमजोर होते-होते पूर्णतः विफल हो जायेंगी। समझदारी इसी में होगी कि इस धरती पर अवतरित हुए परमात्मा को पहचानकर उनसे अपना संबंध जोड़ें और उनके अनुपम सानिध्य से जीवन में साइलेन्स की शक्ति को इतना बढ़ा लें कि दूसरों के संकल्प हमारे मन को स्पर्ष कर लें और हम उनके भाव समझ जायें।
कार्यक्रम की शुरूआत में ब्र.कु. शषीप्रभा बहन ने सर्व संबंध परमात्मा से जोड़ने पर आधारित कमेन्ट्री के माध्यम से योग का अभ्यास कराया। इस अवसर पर आसपास के अनेक स्थानों से आये हुए साधक उपस्थित हुए।
ईष्वरीय सेवा में,
ब्र.कु. मंजू
बिलासपुर टिकरापारा
सादर प्रकाषनार्थ,
भ्राता सम्पादक महोदय……
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