स्व को सुनियंत्रित करने का स्वराज्य चाहिये – ब्र.कु. शषी
खुषनसीब है वो खून, जो देष के काम आता है
छ.ग. स्कूल में मनी तिलक-आजाद जयन्ती
‘‘मातृभूमि के प्रति हममें अटूट देषप्रेम और देषभक्ति की भावना होनी चाहिये। हजारों शहीदों की कुर्बानी से भरी क्रांति से देष को आजादी मिली। उनमें अंतिम सांसों तक देष सेवा की लगन बनी रही। आज हमें उस तरह की क्रांति की जरूरत तो नहीं है क्यांकि हम तो स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं बल्कि हमें आध्यात्मिक क्रांति लाने की जरूरत है जिसके अंतर्गत हमें पाष्चात्य सभ्यता के फैषन, उनकी संस्कृति को त्यागकर भारतीय संस्कृति को सीख दिव्य गुणों को धारण करना है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए कठिन राहों पर चलकर भी अच्छी बातों को चुनना होगा क्योंकि हर अच्छी चीज आसानी से नहीं मिलती, फूलों को प्राप्त करने के लिए कांटों से गुजरना जरूर पड़ता है। आजाद-तिलक ने तो स्वराज्य की मांग की थी लेकिन आज उसी भारत में स्व पर राज्य करने की, नषा, फैषन, मोबाइल, गलत राह को छोड़कर आध्यात्म को अपनाकर मन-बुद्धि को संस्कारित करने की आवष्यकता है और यही हमारे देषभक्तों के त्याग व बलिदान के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आज बालगंगाधर तिलक एवं चंद्रषेखर आजाद की जयन्ति पर हमें उनकी विषेषताओं और खूबियों को अपनाने का संकल्प लेना होगा।
उक्त बातें नेहरू नगर के पारिजात कॉलोनी स्थित छत्तीसगढ़ स्कूल में तिलक-आजाद जयन्ती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र की बहन ब्र.कु. शषीप्रभा ने कही। इस अवसर पर छ.ग. स्कूल षिक्षा समिति के उपाध्यक्ष भ्राता डॉ. आनंदमूर्ति अग्रवाल जी ने कहा कि हमारे देष की आजादी में शांत व क्रांतिकारी दोनों तरह के विचार रखने वाले लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि तिलक व आजाद की वेषभूषा से ही उनके विचारों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
साथ ही प्राचार्य भ्राता सुषील तिवारी जी ने अनेक दृष्टांतों के द्वारा विस्तार से तिलक व आजाद के जीवन चरित्र पर प्रकाष डाला। नारायणी मैडम ने बच्चों से तिलक-आजाद की जीवनी पर आधारित प्रष्न पूछे एवं सही उत्तर देने वाले बच्चों को शाला की ओर से पुरस्कृत किया गया।
इससे पूर्व कार्यक्रम के शुभारम्भ में विद्यालय की प्रभारी सविता प्रथमेष, ब्र.कु. शषी बहन, ब्र.कु. पूर्णिमा बहन, स्कूल समिति के उपाध्यक्ष भ्राता आनंदमूर्ति अग्रवाल एवं अन्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया एवं तिलक-आजाद के चित्रों पर पुष्पांजलि दी गई।