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स्वराज्य से ही रामराज्य संभव – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

स्वराज्य से ही रामराज्य संभव – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में रविवार को स्वतंत्रता दिवस पूर्व विशेष क्लास का आयोजन

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‘‘कहा गया है- ‘‘पराधीन सुख सपनेहु नाहि’’ अर्थात् पराधीन व्यक्ति को सुख स्वप्न में भी नहीं मिलता। अधीनता चाहे व्यक्ति की हो, व्यक्ति, वस्तु की हो या फिर अपने ही बुरे स्वभाव, संस्कार या आदतों की, वह दुखदायी ही होती है। हमारा देश भारत भी लंबे समय तक अंग्रेजोें का गुलाम रहा। अंग्रेजों के शोषण से भारतीय की हालत दयनीय हो गई। हमारे देशभक्त भाई-बहनों ने अपने अनमोल जीवन की कुर्बानी देकर हमें अंग्रेजों के शोषण और गुलामी भरे जीवन से मुक्त कराया। ऐसे देशभक्तों को आजादी के 69 वर्ष पूरे होने में शत्-शत् नमन।
उपरोक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने रविवार विशेष क्लास में उपस्थित ब्रह्माकुमारीज़ परिवार के सदस्यों को संबोधित करते हुए कही। आपने आगे कहा कि विविध क्षेत्रों में भारत स्वनिर्भर तो हुआ है, अनेक क्षेत्रों में उन्नति भी की है। लेकिन इन सब प्राप्तियों के बावजूद मन में प्रश्न उठता है कि क्या वास्तविक रूप से आज हम स्वतंत्र हैं? आज हम पूरी तरह पांच विकारों- काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार के गुलाम हो चुके हैं।
अधिकतर लोग लोभ के बंधन में बंधकर सामान्य जनता का खून चूस रहे हैं। काम के अधीन होकर आज भाई-बहन, शिक्षक-विद्यार्थी, पिता-बेटी का पवित्र रिश्ता भी अपवित्र होता जा रहा है। आज स्त्री बाहर तो क्या, अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है। मोह रूपी मकड़ी के जाल में फंसे मात-पिता, गांधारी और धृतराष्ट्र की तरह आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बच्चों के गलत कार्यों को भी आश्रय देते हैं। क्रोध के अधीन होकर भाई, भाई को, पति, पत्नि को तथा पुत्र, पिता को भी मारने से नहीं चूकते। छः फुट का इंसान छोटी सी दो इंच की बीड़ी, 15 इंच की शराब की बोतल के अधीन है। छोटे से लेकर बड़े तक हर व्यक्ति इन पांच विकारों में से किसी न किसी के अधीन है।
बापू गांधी ने सत्य और अहिंसा के बल पर भारत को रामराज्य बनाने का सपना देखा था। परन्तु आज चारों तरफ तो रावणराज्य ही दिखाई देता है। जिसने आत्मा की सुख, शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति रूपी मूल संपत्तियों को छीन लिया है। इस रावण की पराधीनता से छुड़ाने के लिये सभी आत्माओं के बापू, स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिवबाबा इस धरती पर अवतरित हो चुके हैं और दिव्य ज्ञान और योग की शक्ति से हमें सच्ची स्वतंत्रता दिला रहे हैं। और भारत को पुनः जगतगुरू का स्थान प्राप्त कराने के लिये राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं।

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