प्रेस-विज्ञप्ति
भावना की भाषा सभी के हृदय को स्पर्ष कर सकती है – ब्र.कु. मंजूषा दीदी
टिकरापारा एवं राजकिषोरनगर के साधकों से दीदी ने की मुलाकात
‘‘जहां भाषा की भिन्नता होती है वहां प्रेम के प्रकम्पन्न और भावनाओं की भाषा सभी समझ ही जाते हैं। ऐसे में परमात्म अवतरण का संदेष तो विष्व की हर एक आत्मा को मिलना ही है। आवष्यकता है केवल हमें मेहनत कर जन-जन तक पहुंचने की। अपने घर व आसपास के वातावरण को शांतिदायी बनाने के लिये पहले हमें स्वयं के अंदर मौन का अभ्यास बढ़ाना होगा। जैसी हमारी सोच होगी, वैसे ही हमारे कर्म होंगे और उसी तरह के वातावरण का निर्माण होगा। जो केवल हमें ही नहीं बल्कि सभी को शांति की अनुभूति करायेंगे और तनाव स्वतः ही दूर हो जायेगा।’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ जगदलपुर सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजूषा दीदी जी ने टिकरापारा एवं राजकिषोरनगर सेवाकेन्द्र के साधकों को संबोधित करते हुए कहीं। आपने कहा कि निगेटीविटी हमारे जीवन में हलचल, अषांति उत्पन्न करती है और पॉजीटीविटी से साइलेन्स पॉवर बढ़ती है। और पॉजीटीविटी का मुख्य आधार ज्ञान मुरली है। इसलिये प्रतिदिन सकारात्मक चिंतन की क्लास करना जरूरी है।
टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने जानकारी दी कि मंजूषा दीदी ने अपना पूरा जीवन जनकल्याण अर्थ ईष्वरीय सेवा में 32 वर्षों से समर्पित किया हुआ है। और 70 आध्यात्मिक गीतापाठषालाओं के माध्यम से जगदलपुर के गांव-गांव में परमात्म संदेष को जन-जन तक पहुंचाने की सेवायें कर रही हैं। ये बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य रहा क्योंकि वह एक आदिवासी क्षेत्र है। और उस क्षेत्र के लोगों को ज्ञान के प्रति कोई रूचि नहीं थी। और वहां के प्रायः सभी लोगों का जीवन मद्यपान से भरा होता था। उनमें जागृति लाने के लिये हमें भावना की भाषा का ही प्रयोग करना पड़ा। और भावना व प्रेम के आधार पर सफलता मिलती ही है।