Baloda
सत्य धर्म की स्थापना के लिए मनोविकारों रूपी बुराइयों पर जीत प्राप्त करना जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
सत्य धर्म की स्थापना के लिए मनोविकारों रूपी बुराइयों पर जीत प्राप्त करना जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्मा कुमारीज़ शिव दर्शन भवन बलौदा में गीता ज्ञान का दूसरा दिन
बलौदा : हम सभी उस अर्जुन की तरह हैं जो युद्ध के मैदान पर धर्म और अधर्म के बीच खड़ा है और अधर्म की ओर खड़े अपने संबंधियों को देखकर युद्ध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। परन्तु यदि भारत में आदि सनातन देवी देवता धर्म अर्थात् सत्य धर्म की स्थापना करनी है तो हमें अधर्म अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार रूपी बुराइयों पर जीत प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है।
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ बलौदा सेवाकेंद्र में चल रहे गीता की राह वाह जिंदगी वाह शिविर के दूसरे दिन लोगों को सम्बोधित करते हुए ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी ने कही।
उन्होंने गीता के प्रथम अध्याय की शुरुआत करते हुए कहा कि ज़ब हम ध्यान की शुरुआत करते हैं तो विकार या आसक्ति हमें ध्यान करने से रोकती है। आसक्ति पूर्ण नहीं होती तो क्रोध आता है जिससे हमारी निर्णय शक्ति कम हो जाती है और हमें सफलता नहीं मिलती, हम जीवन का सही आनंद नहीं ले पाते। इसलिए गृहस्थ धर्म के लिए कमल पुष्प का उदाहरण आता है कि वह जल में रहते भी जल से न्यारा प्यारा रहता है।
दीदी ने उदाहरण द्वारा बताया कि जैसे शरीर में शुगर का लेवल बढ़ने से डॉक्टर चीनी, चावल आदि खाने मना करते हैं इस प्रकार कलयुग के अंत में जब दुनिया में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार की अति हो जाती है तब परमात्मा स्वयं इस धरा अवतरित होकर इन विकारों को छोड़ने की बात कहते हैं।
अंत में ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन ने सभी से अनुरोध करते हुए कहा यह अमूल्य गीता ज्ञान देने के लिए अपना बहुमूल्य समय निकालकर दीदी हमारे मध्य पधारे हैं और विशेष बात यह है कि रोज के ज्ञान की कड़ी एक दूसरे से जुडी हुई है इसलिए कोई भी दिन न छूटे इस बात का सभी ख्याल रखें। समय से उपस्थित होकर ज्ञान का पूरा लाभ लें।