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Baloda

गीता ज्ञान की पुनरावृति – वर्तमान समय की आवश्यकता – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी 

गीता ज्ञान की पुनरावृति – वर्तमान समय की आवश्यकता – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

समाज का एक प्रतिशत वर्ग पांडव बन जाये तो धरती पर स्वर्ग सम्भव…

कंकालीन पारा, बलौदा स्थित ब्रह्मा कुमारीज़ शिव-दर्शन भवन में गीता ज्ञान सप्ताह का पहला दिन

बलौदा : आज से पांच हज़ार वर्ष पहले महाभारत काल के ग्रह नक्षत्रों की पुनरावृति चल रही है। आज भी घर घर में जमीन जायदाद को लेकर विवाद देखने में आता है। भूमि के टुकड़े को लेकर परिवार में कलह कलेष हो रहे हैं। ऐसे महाभारत के समय में हमें भगवान के साथ प्रीतबुद्धि कर पांडवों जैसा बनना है।

 

उक्त बातें कंकालीन पारा, बलौदा स्थित ब्रह्माकुमारीज़, शिव दर्शन भवन में आयोजित सात दिवसीय शिविर – गीता की राह, वाह जिंदगी वाह को सम्बोधित करते हुए बिलासपुर से पधारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कही। उन्होंने बतलाया कि आज समाज में शकुनी जैसे पात्र बढ़ गए हैं जिससे रिश्तो में मिठास कम होती जा रही है ऐसे समय में हमें पांडवों की भूमिका अदा करनी है। पांडवों की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे भगवान के साथ प्रीतबुद्धि थे।

 

दीदी ने कहा कि युधिष्ठिर युद्ध जैसी स्थिति में भी स्थिर मन वाला, धर्मराज, भीम अर्थात् मनोबल से भरपूर, प्रतिदिन ज्ञान का अर्जन करने वाला अर्जुन, भगवान की नकल करने वाला अर्थात् श्रेष्ठ मत पर चलने वाला नकुल और सदा ही समाज के श्रेष्ठ कार्यों में अपने तन, मन व धन से सदा सहयोगी रहने वाला सहदेव। ऐसे पांच पांडव में से किसी एक पांडव की विशेषता को धारण कर हम समाज को पतन से बचा सकते हैं।

 

दीदी ने बतलाया कि आज परिचय सत्र रहा, दूसरे दिन से हम गीता के प्रथम अध्याय की ओर आगे बढ़ेंगे।

 

21 मई से बच्चों के लिए निःशुल्क पांच दिवसीय बाल संस्कार शिविर – समर कैंप का आयोजन

 

मंच संचालन करते हुए ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन ने बतलाया कि बच्चों को संस्कारवान बनाने व भारतीय संस्कृति, मूल्य शिक्षा, योग, प्राणायाम, संगीतमय योगाभ्यास, प्रेरणादायक कहानियाँ आदि के माध्यम से व्यक्तित्व का चहुमुखी विकास करने हेतु सेवाकेन्द्र पर ही 21 से 25 मई तक प्रतिदिन प्रातः 7-8:30 बजे तक निःशुल्क संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें बलौदा सहित आसपास के गांव से भी बच्चे लाभ ले सकते हैं।

 

योग प्रशिक्षक एवं राजयोग शिक्षिका बीके प्रीति बहन, गायत्री बहन व ईश्वरी बहन बच्चों को उक्त विषयों पर सीख देंगे।