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Baloda

परमात्म शक्ति सुगंध की तरह है जिसे अनुभव किया जाता है – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ

प्रेस विज्ञप्ति

परमात्म शक्ति सुगंध की तरह है जिसे अनुभव किया जाता है – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

मन के हारे हार है और मन के जीते जीत…

ब्रह्मा कुमारीज़, शिव दर्शन भवन, बलौदा में गीता ज्ञान का पांचवा दिन, दूसरा अध्याय हुआ पूर्ण…

बलौदा – जिस प्रकार हवा दिखाई नहीं देती, खुशबू दिखाई नहीं देती परंतु उसका अनुभव सभी को है उसी प्रकार परमात्मा एक अलौकिक अनुभूति हैं, दिव्य शक्ति हैं जिन्हें अनुभव किया जा सकता है। ईश्वर के लिए यही कह सकते हैं कि तेरा वह प्यार है भगवन, जो दिखलाया नहीं जाता, बरस जाता है नैनो से, वो समझाया नहीं जाता। कोई पूछेगा अगर हमसे कि प्रभु का प्यार कैसा है? तो यही कहूंगी करके देख लो, दिखाया वो नहीं जाता।

 

यह बातें ब्रह्माकुमारी शिव दर्शन भवन बलौदा में चल रहे गीता की राह वाह जिंदगी वाह – शिविर के पांचवें दिन ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने सभी को ध्यान की गहन अनुभूति कराते हुए कही।

 

दीदी ने कहा कि हमें स्वयं की काउंसलिंग करना जरूरी है कि हमें अहंकार, कामुकता या क्रोध की फीलिंग तो नहीं आती? हारा हुआ तो अनुभव नहीं होता? हारा हुआ फिर भी जीत सकता है लेकिन मन से हारा हुआ कभी जीत नहीं सकता इसलिए भगवान कहते हैं मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। आत्मविश्वास ही सर्वश्रेष्ठ कुंजी है।

दीदी ने कहा कि कोशिश करो कि वह चेहरा सदा मुस्कुराता हुआ दिखाई दे जिसे आप हर रोज आईने में देखते हैं क्योंकि किसी को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता आपके आंसुओं से।

 

अंत में दीदी ने ध्यान के द्वारा परमात्मा को गुरुवार का सामूहिक भोग स्वीकार कराया और सभी को प्रसाद वितरण किया गया।

 

प्रेस विज्ञप्ति 2

 

जो शब्द हमें पसंद नहीं वह हम दूसरों को ना कहें – ‌ बीके ‌देव‌हूति बहन

 

नन्हें बच्चे भी सीख रहे योग-आसन-प्राणायाम…

 

बलौदा के ब्रह्माकुमारीज, शिव दर्शन भवन में बाल संस्कार शिविर तीसरा दिन

 

बलौदा :- बाल संस्कार शिविर के आज के सत्र की शुरुआत ओमध्वनि से हुई। योग प्रशिक्षक विक्रम भाई ने सभी को यौगिक जॉगिंग व विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म आसन का अभ्यास कराया।

 

ब्रह्माकुमारी देवहूति बहन ने “जो शब्द हमें पसंद नहीं वह हम दूसरों को ना कहें” स्लोगन देते हुए कहा कि मां के गर्भ से ही बच्चों में संस्कार के बीज पड़ते हैं। आत्मा की तीन शक्तियां मन ,बुद्धि, संस्कार हैं। मन में सुंदर विचार से ही बुद्धि स्वच्छ, शुद्ध बनती है, इससे ही हमारे संस्कार बनते हैं इसलिए रोज परमात्मा की याद में अपने मन को टिकाना अति आवश्यक है‌। परमात्मा सर्वशक्तिमान है और हम उनके बच्चे हैं। उनकी स्मृति से हम उनके जैसा बनते हैं। इसलिए कहा जाता है – दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे ना कोई, जो सुख में सिमरन

करे तो दुख काहे को होय।

 

ब्रह्माकुमारी प्रीति बहन ने सनातन धर्म ‌के महत्व व चार युगों के बारे में समझाया। ‌अंत में शांति पाठ करने के पश्चात सभी प्रसाद लेकर प्रस्थान हुए।