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पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के साथ अपने कर्मों को भी सुधारने का अवसर है श्राद्ध – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

*पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के साथ अपने कर्मों को भी सुधारने का अवसर है श्राद्ध – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
प्रभु दर्शन भवन, टिकरापारा में आध्यात्मिक रहस्य बताकर पूर्वजों के प्रति लगाया गया सामूहिक भोग, सबके प्रति प्यार आदर सम्मान रखने की दी गई प्रेरणा
बिलासपुर टिकरापारा :- श्राद्ध के अवसर प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में साधकों ने अपने परिवार के पूर्वजों के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए सामूहिक भोग लगवाया। ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने सभी को ध्यान कराते हुए हमारे द्वारा पूर्वजों को जाने अनजाने में दिए गए दुख के लिए सभी पितरों से क्षमादान योग अभ्यास कराया। साथ ही अपने कर्म व्यवहार को हर एक प्रति स्नेह, आदर, प्यार, सम्मान युक्त रखने की प्रेरणा दी। भोग में ब्रह्माकुमारीज़ के सदस्यों के साथ पड़ोस के लोणकर, मूर्ति व नायडू आदि परिवार के सदस्य भी शामिल हुए।
इस अवसर पर दीदी ने श्राद्ध का आध्यात्मिक महत्व व अर्थ बताते हुए कहा कि पितरों के प्रति श्रद्धापूर्वक किया गया कर्म ही श्राद्ध है। यह हमें अपने कर्मों के प्रति सचेत करता है क्योंकि हर कर्म का फल जरूर मिलता है। इसलिए जीते जी ही हमें अपने परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों, संबंधियों, कर्म क्षेत्र के साथियों सभी के साथ प्रेम पूर्ण संबंध रखना चाहिए ताकि आगे कभी अपने कर्मों के लिए पश्चाताप करना न पड़े।
दीदी ने कहा कि यह हमें अपने पूर्वजों के बलिदानों व योगदानों को याद करने का दिन है जो हमें अपनी संस्कृति व पारिवारिक संस्कारों से जोड़े रखती है।
अंत में सभी ने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हुए परमात्मा की याद में खीर, पूरी, छोले व बड़े का भोग स्वीकार किया। भोग बनाने में ब्रह्माकुमारी हेमवती बहन, समीक्षा बहन, पूर्णिमा बहन, श्यामा बहन, देवहूति बहन के साथ सेवाकेंद्र की माताओं का योगदान रहा।