Connect with us
 

Brahma Kumaris Raj Kishore Nagar

वैज्ञानिकों से पहले गीता में भगवान ने बताया है ध्यान का महत्व – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

*वैज्ञानिकों से पहले गीता में भगवान ने बताया है ध्यान का महत्व – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

ब्रह्मा कुमारीज़ शिव अनुराग भवन में गीता ज्ञान के तीसरे दिन स्थिर बुद्धि की परिभाषा बताई

गुरुवार को अध्याय -7 सुनाने के पूर्व पितरों के प्रति लगाया जायेगा भोग, कराया जायेगा क्षमा योग

बिलासपुर राज किशोर नगर : गीता में भगवान ने राजयोग ध्यान सिखलाया है। इसी ध्यान के बीस मिनट अभ्यास से 8 घंटे कार्य करने की शक्ति आ जाती है इसके विपरीत यदि हम केवल 5 मिनट का क्रोध करते हैं तो हमारे दो घंटे कार्य करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। योग स्वयं को सुसंस्कृत करने का ज्ञान है जो भारत की प्राचीन संस्कृति है। यह कोई विदेशियों की या वैज्ञानिकों की देन नहीं है।

यह बातें राजकिशोर नगर शिव अनुराग भवन में चल रहे गीता ज्ञान के तीसरे दिन ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कही। दीदी ने स्थितप्रज्ञ की परिभाषा बताते हुए कहा कि मन की सभी कामनाओं का त्याग कर स्वयं में संतुष्ट रहना दुख में उद्वेग नहीं, सुख की लालसा नहीं, आसक्ति, भय और क्रोध से मुक्त रहने वाला व्यक्ति ही मुनि अर्थात् स्थिरबुद्धि कहलाता है। उसके मन में शुभ के प्रति अति प्रसन्नता व अशुभ के प्रति द्वेष नहीं होता, कर्मन्द्रियां आकर्षित नहीं करती।

दीदी ने कर्म की प्रधानता बताते हुए कहा कि कर्म करने पर हमारा अधिकार है लेकिन उसके फल की अपेक्षा नहीं करनी है। हारा हुआ कभी भी जीत सकता है लेकिन यदि मन से हार गए तो कभी नहीं जीता जा सकता इसलिए अपने आप में आत्मविश्वास को हमें कभी नहीं खोना है।

*साधना के लिए संयम जरूरी…*
दीदी ने बतलाया कि यूँ तो स्वभाव व स्वार्थ का अर्थ बहुत अच्छा है, स्वयं का भाव तो शांति, प्रेम, आनंद स्वरूप है और स्व के लिए किया जाने वाला कार्य स्वार्थ है लेकिन आज के समय में विकारों को ही हमने अपना स्वभाव मान लिया है। इन्हीं विकारों की प्राप्ति के लिए न जाने कितने युद्ध हुए। जबकि साधना के लिए जीवन में संयम जरूरी है। विद्यार्थी जीवन में भी ब्रह्मचर्य आश्रम को महत्व दिया गया है। 25 वर्ष के बाद गृहस्थ आश्रम में जाने की बात कही गई है। मन को ईश्वर में लगाने से बुद्धि स्थिर हो जाती है।

गुरुवार को श्राद्ध पर गीता के सातवें अध्याय के श्रवण के साथ पितरों को तर्पण करने के लिए सामूहिक भोग स्वीकार कराया जायेगा। साथ ही गाइडेड मेडिटेशन कॉमेंट्री के द्वारा क्षमायोग का भी अभ्यास कराया जायेगा।

Continue Reading
Advertisement