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स्वर्ग-बहिश्त की स्थापना मे मददगार बनना मनुष्य जीवन का श्रेष्ठ लक्ष्य: बीके प्रीति

*शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर में पाजिटिव थिंकिंग की क्लास*
*स्वर्ग-बहिश्त की स्थापना मे मददगार बनना मनुष्य जीवन का श्रेष्ठ लक्ष्य: बीके प्रीति*
*आज से गीता ज्ञान प्रारंभ, क्षमादान व डिप्रेशन विषय पर रहेंगे प्रथम दो सत्र…*
बिलासपुरः शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर में पाजिटिव थिंकिंग की क्लास चल रही है। बीके प्रीति ने कहा कि सभी धर्मों का लक्ष्य है कि हम एक ऐसी दुनिया मे जाये जहाँ दुख का नामोनिशान न हो। इसका ही धर्म शास्त्रों मे स्वर्ग, बहिश्त, हैविन इत्यादि नामो मे वर्णन है। लेकिन समय का स्पष्ट उल्लेख न होने के कारण अनेक मतभेदों में मनुष्य उलझे हुए है। मनुष्यों का दुःख दूर करने आखिर परमात्मा को इस कलह की दुनिया मे आना ही पड़ता है। दुखी कलयुगी दुनिया से स्वर्ग सतयुगी दुनिया मे परिवर्तन की बेला यह छोटा सा संगमयुग है जिसमे परमात्मा श्रेष्ठ कर्म की शिक्षा देकर दुख से छुड़ा सुख की दुनिया मे जाने का मार्ग बताते है। ऐसे कार्य मे परमात्मा का मददगार बनना मनुष्य जीवन का श्रेष्ठ लक्ष्य होना चाहिए। परमात्मा का संदेश सभी मनुष्य आत्माओं के लिये है न कि किसी धर्म विशेष के लिये।
आगे कहा कि मै और मेरापन ही सभी दुखों का मूल है। जब सदा यह स्मृति रहे कि मै करनहार और परमात्मा करावनहार है तो सभी बोझ से हल्के हो जाते है अर्थात सिर पर लाइट का ताज धारण कर लेते है। अगर गलती से भी , किसी भी व्यर्थ भाव का अपने उपर बोझ उठा लेते है तो ताज के बजाय फिकर के अनेक टोकरे सिर पर आ जाते है।
प्रीति बहन ने जानकारी दी कि पितृ पक्ष श्राद्ध के अवसर पर आज रविवार 7 सितंबर से 14 सितंबर तक प्रतिदिन शाम 6:30 बजे गीता ज्ञान का विशेष सत्र आयोजित है। पूर्वजों व संबंधियों से क्षमादान योग व अर्जुन के विषाद योग जिसे आज के समय में डिप्रेशन कहा जा रहा है, इन विषयों का समाधान गीता में दिए गए भगवान की श्रीमत के अनुसार बताया जायेगा।