Brahma Kumaris Raj Kishore Nagar
हमारे कर्मों से कोई राह भटके तो उसके दोषी हम भी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

हमारे कर्मों से कोई राह भटके तो उसके दोषी हम भी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
शिव अनुराग भवन, राजकिशोर नगर में गीता ज्ञान का चौथा दिन, कर्मयोग व ज्ञानकर्मसन्यास योग पर हुआ मंथन
अनुभव कराकर योग की विधि सिखायी गई
राज किशोर नगर, बिलासपुर :- इस जीवन रूपी नाटक में एक एक व्यक्ति को कई रोल मिले हुए हैं। किसी के बेटे, भाई, पिता, पति या बेटी, बहन, माँ, पत्नी आदि। इन भूमिकाओं को हमें अच्छे से अच्छी तरह से अदा करना है। हमारे कर्म प्रेरणा देने वाले हों। यदि हमारे कर्म से कोई राह भटकता है तो उसका दोष हमारा भी है।
उक्त बातें शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर में चल रहे श्रीमदभगवदगीता की राह, वाह जिंदगी वाह शिविर के चौथे दिन ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कही। दीदी ने तीसरे और चौथे अध्याय की विवेचना करते हुए कहा कि कर्म में योग को शामिल करना है, कर्म सन्यासी नहीं, कर्मयोगी बनना है। हमारी त्याग तपस्या से समाज की आध्यात्मिक उन्नति हो। योगी के लिए न ही अत्यधिक भोजन व नींद उपयोगी है न ही आवश्यकता से कम।
दीदी ने योग की विधि बताते हुए कहा कि सबसे पहले तो जिस स्थिति में हम अधिक समय तक बैठ सकें वह स्थिति चुनना चाहिए। यदि घुटनों आदि में तकलीफ है तो कुर्सी पर ध्यान मुद्रा में बैठकर भी ध्यान किया जा सकता है। सबसे उपयुक्त तो सुखासन, पदमासन या अर्ध पदमासन की स्थिति है।
दीदी ने कहा कि गीता ज्ञान को अपनाने के लिए गृहस्थ धर्म का त्याग करने की जरूरत नहीं है। भगवान ने तो केवल विकारों का त्याग कर कमल फूल के समान जीवन जीने की प्रेरणा दी है। लक्ष्मी नारायण को अपना आदर्श बनाएं। वे भी गृहस्थी थे लेकिन आज के समय में गृहस्थ आश्रम नहीं रह गया इसलिए अलग से आश्रम जाने की जरूरत पड़ती है।
वर्तमान समय स्वयं भगवान गीता में दिए अपने वचन के अनुसार धरती पर आकर हम सभी में देवत्व के गुणों को धारण कर आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना कर रहे हैं। हम सभी अपने जीवन में देवतायी गुण धारण करके इस श्रेष्ठ कार्य में सहयोगी बन सकते हैं।