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21 दिवसीय योग-साधना कार्यक्रम का दीप-प्रज्ज्वलन कर किया शुभारम्भ ‘जीना है पिताश्री ब्रह्मा जैसा’ संगठित योग-तपस्या का आयोजन

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
21 दिवसीय योग-साधना कार्यक्रम का दीप-प्रज्ज्वलन कर किया शुभारम्भ
‘जीना है पिताश्री ब्रह्मा जैसा’ संगठित योग-तपस्या का आयोजन

टिकरापारा बिलासपुर :- ‘जैसा कर्म मैं करूंगा, मुझे देखकर सभी करेंगे’ – ब्रह्माकुमारीज़ के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा का यह स्लोगन साधना भरे जीवन या गृहस्थ जीवन में सभी के लिए बहुत प्रेरणादायी व लाभकारी है क्योंकि इस स्लोगन से स्वयं के हमारे हर कर्म पर सजगता रहती है जिससे हमें फॉलो करने वालों के लिए गलत राह की ओर जाने का कोई चांस नहीं होता। और उनके संस्कारित होने का पुण्य हमें भी मिलता है।
उक्त बातें ‘जीना है बाबा (पिताश्री ब्रह्माबाबा) जैसा’ 21 दिवसीय योग-साधना कार्यक्रम के शुभारम्भ सत्र में ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बतलाया कि 18 जनवरी का दिन पिताश्री ब्रह्माबाबा के संपूर्णता को प्राप्त करने का दिन अर्थात् पुण्यतिथि है। इसलिए संस्था द्वारा जनवरी माह को तपस्या माह के रूप में मनाया जाता है। संस्कार परिवर्तन के लिए ज्ञान-योग की तपस्या व स्वयं पर अटेन्शन बहुत आवष्यक है। इसी उद्देष्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
क्षेत्रीय कार्यालय इंदौर से आए इस कार्यक्रम की रूपरेखा सुनाते हुए दीदी ने कहा कि 21 दिन अर्थात् 3 सप्ताह में अलग-अलग लक्ष्य रखकर पुरूषार्थ किया जायेगा। पहले सप्ताह में परमात्मा पर संपूर्ण निष्चयबुद्धि, दूसरे सप्ताह में बुद्धि का समर्पण व तीसरे सप्ताह विशेष मौन-साधना। हर सप्ताह के लिए दो स्वमान दिए जायेंगे। इस सप्ताह का पहला स्वमान ‘मैं बालक सो मालिक आत्मा हूं’ अर्थात् हमें निष्चय है कि हम सर्व आत्माओं के परमपिता, सर्वशक्तिमान, प्रेम के सागर, शान्ति के सागर, गुणों के भण्डार परमात्मा षिव की संतान हैं। जब उनके बालक बने हैं तो उनके सभी गुणों व शक्तियों रूपी संपत्तियों के वारिस अर्थात् मालिक भी बन गए। इस चिंतन में रहकर अपने कर्म, बोल व चाल-चलन पर ध्यान रखना है।
एक बल-एक भरोसे के निष्चय से सफलता निष्चित…
एक बल और एक ईष्वर पर पूरा भरोसा रखने वाले की विजय निष्चित है। साथ ही अपनी खुषी को बनाए रखने व बढ़ाने के लिए यह चिंतन भी करें कि इस आध्यात्मिक जीवन में मुझे क्या-क्या प्राप्तियां हुई हैं, मुझे ये जीवन क्यों सर्वोत्तम महसूस हो रहा है। वो बातें भी स्मृति में लाएं जिसमें निष्चय के आधार पर आपको सफलताएं मिली। और यदि स्वयं के लिए  लगता है कि कुछ बातों के निष्चय में अभी कमी रह गई है तो उसे पूरा करने का लक्ष्य रखें। जो परिस्थितियां आपके सामने है उसे पिताश्री ब्रह्माबाबा के द्वारा कैसे पार किया जाता, उसे याद कर लिखें और पालन करें।
कार्यक्रम का शुभारम्भ टिकरापारा व राज किशोर नगर में परमात्म स्मृति व दीप प्रज्ज्वलन से हुई। दीदी ने बतलाया कि इसके अतिरिक्त प्रतिदिन का चार्ट भी बनाया गया है जिसमें साधना की और भी बातें जैसे ब्रह्ममुहूर्त में दो घण्टे योग, सभी के प्रति शुभभावनाओं के प्रकम्पन्न फैलाने की मनसा सेवा आदि शामिल की गईं हैं। हर स्वमान के लिए मेडिटेषन कॉमेन्ट्री और गीत भी बनाए गए हैं जो हमारी साधना में मदद करेंगे।