brahmakumaris Tikrapara
प्रतिदिन सत्संग से मिलती है धर्म शास्त्रो मे लिखे शब्दों के यथार्थ भाव की समझ – ब्रह्माकुमारी गायत्री

*प्रतिदिन सत्संग से मिलती है धर्म शास्त्रो मे लिखे शब्दों के यथार्थ भाव की समझ – ब्रह्माकुमारी गायत्री*
*परमात्मा को यथार्थ पहचान ज्ञान योग से सबका पालन करने के कारण पूज्य बनी माँ जगदम्बा*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे परमात्मा के महावाक्य पर चर्चा चल रही है। बीके गायत्री बहन ने मातेश्वरी जगदम्बा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आयु मे छोटे होते भी तीक्ष्ण बुद्धि और दृढ़ निश्चय के कारण ओमराधे जगदम्बा बनी और सभी यहाँ तक कि उनकी लौकिक माता और पिताश्री ब्रह्मा बाबा भी उन्हें मम्मा कहते थे। एक दृष्टांत मे दीदी ने कहा कि एक लकडहारा गरीबी से तंग आकर वन मे बैठे साधु से उपाय पूछा तो साधु ने जंगल से और आगे जाने की सलाह दी। लकडहारे को आगे चंदन का जंगल मिला। साधु ने और आगे जाने की सलाह तो चांदी फिर सोना और फिर हीरे की खान मिली। लकडहारे ने पूछा कि इतने खजानों की जानकारी होते आप वन मे तप क्यों कर रहे हो?
साधु ने उत्तर दिया मै इन सबसे पार गया तब मुझे परमात्मा मिल गए अब मुझे किसी चीज़ की आवश्यकता नही।
मम्मा(जगदम्बा) ने धर्म शास्त्रो के गूढ रहस्यों को सहज कर समझाया कि परमात्मा हम सभी मनुष्य आत्माओं के एक ही पिता है जो हमे पढा रहे है। सृष्टि चक्र और ऊर्द्धव मूल वाले कल्पवृक्ष का ज्ञान जो परमात्मा दे रहे है वह कोई मनुष्य नही दे सकता। परमात्मा को यथार्थ न जानने के कारण लोग दुःखी है।
दीदी ने कहा कि हमारी कमियों के बाद भी परमात्मा वरदान देते है कि यह समय मर्यादा पुरुषोत्तम बनने का है इसलिए छोटे मोटे विघ्नों को श्रेष्ठ ऊंची स्मृति से पार कर लो तो नम्बर वन बन सकते हो।