brahmakumaris Tikrapara
मन के रोगों को जड़ से खत्म करता है श्रीमद्भगवद्गीता

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकश नार्थ
*श्रीमद् भगवद गीता सर्व शास्त्र शिरोमणि – बीके मंजू*
*अपार संपत्ति का खजाना श्रीमद्भगवद्गीता*
*श्रीमद्भगवद्गीता से निरोग नागरिकों का उदय*
*श्रीमद्भगवद्गीता अपने आप में अद्वितीय शास्त्र*
*मन के रोगों को जड़ से खत्म करता है श्रीमद्भगवद्गीता*
*जीवन को मैनेज करने की कला श्रीमद्भगवद्गीता में*
*अधिक मास में श्रीमद्भागवत गीता का रसपान आरंभ*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन स्मृति वन के पास खुशी हर पल एडवांस कोर्स के बाद। मंजू दीदी जी अधिक मास में श्रीमद्भागवत गीता का रसपान बड़ी उमंग उत्साह से आने वाले सभी भाई – बहने कर रहे हैं, गीता सर्व शास्त्रों में शिरोमणि है स्वामी विवेकानंद जी का उदाहरण देते हुए कहा वो एक बार विदेश गए तो उनका अपमान करने के लिए कहा कि आपकी गीता तो आउटडेटेड हो गई है, गीता को सबसे नीचे रखा और अपने धर्म शास्त्र को ऊपर विवेकानंद जी ने गीता को नीचे से खींच दिया तो अन्य शास्त्र भी गिर गए। श्रीमद्भगवद्गीता हमें विजडम को प्राप्त कराती है, यथार्थ बुद्धि देती है, इसमें अपार संपत्ति का खजाना छिपा हुआ है।
परमात्मा महावाक्य मुरली में बातें आती हैं बच्चे गीता ज्ञान को सिद्ध कर दो तो सर्व बातें सिद्ध हो जाएगी। दीदी जी ने कहा कि मुझे लगता था की श्रीमद् भागवत गीता के ऊपर रिसर्च करनी चाहिए। दिल्ली में गीता सम्मेलन में गए तो वहां जज और साधु संत भी आए थे श्रीमद्भगवद्गीता में जो पात्र हैं जो पात्र गुप्त हैं उसका प्रत्यक्षीकरण स्वयं गीता में है।
दीदी जी ने कहा कि मुझे तो श्रीमद्भगवद्गीता स्पष्ट हो चुकी थी,लेकिन दूसरों को स्पष्ट करने के लिए अपार संपत्ति का खजाना, जो गुफाओं में बंद है, कुछ लोगों को ही यह बातें अगर समझ में आ गई तो आपके अंदर से वह अनहद नाद निकलेगा की पाना था वो पा लिया और कुछ पाना बाकी ना राहा। श्रवण पठन से जब मैं बस मिलने लगता है अगर उसको हम धारण कर ले तो श्रीमद् भागवत गीता अपने आप में एक अद्वितीय शास्त्र है।
वर्तमान समय जो एक संक्रामक बीमारी चल रही है तनाव, डिप्रेशन हाई,डिप्रेशन को कैसे मैनेज करें यह कला श्रीमद् भागवत गीता हमे सिखाती है। श्रीमद्भगवद्गीता एक आयुर्वेदिक औषधि है कोई भी पैथिक खराब नहीं है आप अंदर से तनाव के बीमारी को मन के रोगों को जड़ से खत्म करने के लिए मुरली हमारे अंदर के रोगों को जड़ से खत्म करेगा।
इससे निरोग नागरिकों का उदय होता है व्यक्ति किसी भी पद पर पहुंच जाएं उससे टेंशन कि महसूस तो जरूर होती है और जब हम उनसे मिलते हैं तो वो अपनी उन बातों को हमसे शेयर करते हैं। ब्रह्मा कुमारीज में कोई सीट नहीं है ज्ञान की पराकाष्ठा बढ़ जाने से आप भी इस सीट पर बैठ सकते हैं कोई भी सीट छिन जाएगी इसका दर्द नहीं है आध्यात्मा इस प्रकार का कोई भी अहंकार हमारे जीवन में आने नहीं देता।
*दीदी जी कहा की
जिन भी भाई
बहनों को श्रीमद्भगवद्गीता का रसपान करना है वो राजकिशोर नगर शिव अनुराग भवन स्मृति वन के पास सुबह 6:30 से 8:00बजे तक व वह संध्या 6:30 से 8:00 बजे तक आ सकते है। उक्त जानकारी आदरणीय मंजू दीदी जी ने दी।