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ज्ञान को थ्योरी रूप मे दिमाग मे धारण करने के साथ आचरण अर्थात प्रैक्टिकल मे धारण करना आवश्यक: बीके मंजू

*ज्ञान को थ्योरी रूप मे दिमाग मे धारण करने के साथ आचरण अर्थात प्रैक्टिकल मे धारण करना आवश्यक: बीके मंजू*
*टिकरापारा मे भगवान के महावाक्यों पर आयोजित की गई परीक्षा*
*उमंग उत्साह से बुजुर्ग युवा सभी ने परीक्षा दी*
बिलासपुर: प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा मे परमात्म महावाक्यों पर आधारित परीक्षा का आयोजन किया गया। इसमे टिकरापारा राजकिशोरनगर सेवाकेन्द्र के साधकों व समर्पित भाई बहनों ने बढ चढकर हिस्सा लिया। उम्र के नवम दशक मे प्रवेश कर चुके शरद बल्हाल जी, भ्राता आजूराम जी, व्ही. लक्ष्मीनारायण शास्त्री दादा, 73 वर्ष की बसंती दादी, 72 वर्षीय छायारानी मित्रा, श्यामलाल गुप्ता दादा व 70 वर्षीय गोविन्द सरकार दादा ने भी परीक्षा दी।
सभी ने अनुभव किया कि परीक्षा की तैयारी मे ईश्वरीय महावाक्यों का गहराई से अध्ययन हो जाता है जिससे प्रैक्टिकल मे जीवन मे धारण करना आसान हो जाता है क्योंकि श्रेष्ठ कर्म के लिए ज्ञान बुद्धि में रहना जरूरी है। रेल्वे के वरिष्ठ अधिकारी ओमप्रकाश सिंह जी ने गृहनगर प्रवास को स्थगित कर परीक्षा दी। मंजू दीदी ने कहा कि ज्ञान को प्रैक्टिकल आचरण मे उतारना सबसे बडी सफलता है।
आगे आपने कहा कि शिवरात्रि मे अपने-अपने वर्ग मे प्रावीण्यता प्राप्त भाई-बहनों को पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा।