Brahma Kumaris Raj Kishore Nagar
बुराई के अलावा कुछ नहीं छुड़ाता आध्यात्म – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

मराठी समाज की महिलाओं को दैनिक जीवन में आध्यात्म की भूमिका का बताया महत्व
*बुराई के अलावा कुछ नहीं छुड़ाता आध्यात्म – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
बिलासपुर टिकरापारा : क्रोध करना किसी को अच्छा नहीं लगता और ना ही क्रोध करने से किसी को खुशी मिलती है फिर भी हम क्रोध करते हैं। क्रोध और अन्य विकार हमारे जीवन में भूतों की तरह हैं इन्हें छोड़ने के लिए दैनिक जीवन में अध्यात्म का समावेश आवश्यक है।
उक्त बातें सरस्वती शिशु मंदिर की पूर्व प्राचार्या स्मृति भूरंगी के घर पर आयोजित सत्संग में टिकरापारा सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कही। दीदी ने बतलाया कि आध्यात्मिक के बारे में गलत भ्रांतियां लोगों के मन में यह है कि समाज, कार्य, घर-द्वार, मोह माया को छोड़कर ही अध्यात्म को अपनाया जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि हम घर गृहस्थ में रहते हुए अध्यात्म को अपना सकते हैं। अध्यात्म हमारे जीवन से सिवाय बुराइयों के और कुछ नहीं छुड़ाता। कोई भी बात पहले से दसवें व्यक्ति को पहुंचने तक निश्चित ही बदल जाती है। इसलिए सुनी सुनाई बातों पर विश्वास ना करें। भ्रांति छोड़कर प्रतिदिन ज्ञान का श्रवण करते रहें, सत्यता स्वयं सिद्ध हो जाएगी।
*आध्यात्मिकता की पहली सीढ़ी प्रेम…*
आत्मा परमात्मा की बातों से पहले आध्यात्मिकता हमें प्रेम सिखाती है क्योंकि भगवान को भी प्यार का सागर कहा जाता है। घर परिवार में हम अपनों से अगर एक कड़वा शब्द बोल देते हैं तो साल भर में 365 शब्दों का हिसाब बन जाएगा और हर कर्म का फल तो मिलता ही है।
*बातों को पकड़ने से खुद होंगे परेशान*
आपसी संबंधों में यदि हम शब्दों को पकड़ लेते हैं और यह भी नहीं की कुछ दिनों के लिए पकड़ें, 20-25 साल तक पकड़े रहते हैं। तो यह स्वाभाविक है कि मन भारी होगा और तनाव से अवसाद की ओर चले जाएँ। यदि हमारा कोई एक रिश्ता बिगड़ा हुआ है तो समय रहते उसे ठीक कर लें, नहीं तो उस एक खराब रिश्ते का असर हमारे अन्य अच्छे रिश्तों पर अवश्य पड़ेगा।