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हर व्यक्ति को परमात्मा शिव समान सहन रूपी विष ग्रहण करना चाहिए – भवानीशंकर नाथ

बिलासपुर टिकरापारा :- जीवन में सभी व्यक्ति को परमात्मा शिवजी और श्रीराम से प्रेरणा लेना चाहिए। जैसे भगवान शिव ने विष ग्रहण किया ऐसे ही हमें भी अपने जीवन में कष्ट रूपी विष को ग्रहण करने की शक्ति शिवजी से लेना चाहिए। श्रीराम ने भी अपने जीवन में कष्टों को सहन किया है । श्रीमद् भागवतगीता के उपदेशों को ब्रह्माकुमारीज़ के साधक वचन और कर्म से जीते हैं । यहां प्रथम पाठ ही आत्मा का दिया जाता है जो गीता का मूल उपदेश है।
उक्त बातें शिव जयन्ति समारोह के अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में आयोजित कार्यक्रम में साधकों को संबोधित करते हुए रेलवे पुलिस उप-महानिरीक्षक भ्राता भवानीशंकर नाथ जी ने कही। आपने अपने अनुभव से बतलाया कि साधना करने से आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है और स्वयं को शान्त रखने में मदद मिलती है। आपने सभी साधकों से कहा कि आप सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं जो अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए संस्था से जुड़े हैं और यहां के कल्याणकारी कार्य में अपने तन-मन-धन से सहयोगी बनते हैं ।
सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने शिव जयन्ती के आध्यात्मिक रहस्यों पर प्रकाश डालते व ईष्वरीय महावाक्य सुनाते हुए कहा कि व्रत, जागरण, षिवलिंग पर बिन्दू व जल की बून्दों से रूद्राभिषेक का यही अर्थ है कि व्रत- दिव्य गुणों की धारणा, जागरण- विष्व कल्याण के लिए सेवाओं का, बिन्दू आत्मिक स्वरूप का और जल की बून्द – बुद्धि में सदा ज्ञान की बून्द टपकती रहे अर्थात् हमसे अज्ञानता का कोई कार्य न हो। हमें पर्व का सकारात्मक पहलू अपना चाहिए लेकिन मनुष्य अपना स्वार्थ निकालने के लिए उसे गलत रूप दे देता है जैसे शंकर जी को भांग, धतूरे का प्रयोग करते बतलाकर स्वयं भी उसका प्रयोग करता है और इस आड़ में स्वयं को निर्दोष सिद्ध करता है। जबकि वह ज्ञान के आध्यात्मिक नषे का यादगार है।
दीदी ने सच्चे भक्त की विशेषता बताई कि सच्चे भक्त कभी ठगते नहीं। न स्वयं को, न दूसरों को और न ही भगवान को। वे सदा अपने संकल्पों में दृढ़ रहते हैं। आज का दिन मैं और मेरे पन के समर्पण का दिन है। जो मैं पन की बलि चढ़ाता है वही आध्यात्मिक रूप से महाबली है। हमें दूसरों को षिक्षा देने या समझाने के पूर्व उनकी प्रषंसा कर पहले उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए उसके बाद ही उसकी गलती बताना चाहिए।
सर्व आत्माओं के पिता – परमात्मा शिव की सजाई गई झांकी
इस अवसर पर हार्मनी हॉल में सर्व आत्माओं के परमपिता परमात्मा शिव की झांकी सजाई गई। जिसमें दर्शाया गया है कि गुरूनानक साहब, जीसस क्राइस्ट, गौतम बुद्ध एवं इब्राहिम यही संदेश दे रहे हैं ज्योति स्वरूप परमात्मा शिव सर्वोच्च सत्ता हैं क्योंकि इन सभी धर्मपिताओं ने परमात्मा को ज्योति के रूप में याद किया है।
कु. अविका व कु. गौरी ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आंखों में है स्वर्णिम भारत….पर कु. गौरी ने देशभक्ति नृत्य और 7 वर्षीय कु. अविका ने जय भारती वन्दे भारती….गीत पर बहुत सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। अंत में भगवान शिव को भोग लगाकर सभी को प्रसाद वितरित किया गया।