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brahmakumaris Tikrapara

परमात्मा को भोग अर्पण कर फिर ग्रहण करना परमात्मा के प्रति आदर है: ब्रह्माकुमारी मंजू

*परमात्मा को भोग अर्पण कर फिर ग्रहण करना परमात्मा के प्रति आदर है: ब्रह्माकुमारी मंजू*

 

*भगवान को भोग लगा कर स्वीकार करने से होते हैं अनेक फायदे…*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे भोग की विधि एवं विधान पर प्रवचन चल रही है। बीके मंजू दीदी ने कहा कि प्रकृति के माध्यम से अन्न परमात्मा के द्वारा हमे मिला है। विभिन्न प्रक्रिया से गुजर कर भोजन हमारे सामने आता है। भोजन परमात्मा को अर्पित कर फिर ग्रहण करके हम परमात्मा के प्रति आदर भाव प्रकट करते है।

 

भोग अर्पण करने की महिमा मे दीदी ने कहा कि इससे भोजन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हो जाती है, नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है, भंडारे भरपूर हो जाते है, भोग बनाने लगाने व खाने वाले का भाग्य बनता है और भोग लगाने वाले का पुण्य जमा होता है, सुख शांति की वृद्धि होती है, भोजन मे परमात्मा की शक्ति भर जाती है, खाने वाले का मन परिवर्तन होता है, दुआएं मिलती है।

 

दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज मे पितरो के लिए, किसी के देह त्याग करने पर, मरजीवा भोग व जीवन में राजीखुशी रहने के लिए विधि विधान से भगवान को भोग लगाया जाता है। दीदी ने कहा कि भोग परमात्मा को लगाया जाता है और सिर्फ परमात्मा ही भोग के निमित्त आत्मा को सूक्ष्म रूप मे भोग स्वीकार करा तृप्त कर सकते है।

 

आज की मुरली से परमात्म संदेश को स्पष्ट करते हुए दीदी ने कहा कि तकदीरवान को ही परमात्मा का यथार्थ परिचय प्राप्त होता है और उनमे से भी जो पवित्रता को धारण करते है वे स्वर्ग की स्थापना मे परमात्मा के मददगार बनते है। माताओं-बहनों के द्वारा ही परमात्मा स्वर्ग का द्वार खोलते है।

 

उक्त जानकारी सेवाकेन्द्र के मीडिया प्रभारी भूषण लाल वर्मा ने दी।