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brahmakumaris Tikrapara

परमात्मा पर यथार्थ निश्चय जीवन को निश्चिंत बनाती है: गायत्री बहन*

प्रेस विज्ञप्ति

सादर प्रकाशनार्थ

 

*आदिरत्न नीव के पत्थर है, भले ही गुप्त है पर भार संभाले हुए है*

*परमात्मा पर यथार्थ निश्चय जीवन को निश्चिंत बनाती है: गायत्री बहन*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोर मे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थापना के निमित्त दादियों के त्याग पर चिंतन चल रहा है। ब्रह्माकुमार आत्मप्रकाश भाई के विचार सुनाते गायत्री बहन ने कहा कि जिस वृक्ष की जड़े जितनी गहरी होती है वह उतना ही मजबूत और टिकाऊ होता है। सिंध मे दादा लेखराज के साथ लगभग चार सौ कन्याओ, माताओं,भाईयों ने चौदह वर्ष तक तपस्या की। नीव के पत्थर की तरह भले ही वे गुप्त है पर आज इस विशाल विश्व प्रसिद्ध संस्था उनके ही त्याग तपस्या के कारण मजबूती से सेवा कर रही है। जानकी दादी जी के अनुभव सुनाते हुए गायत्री बहन ने कहा मम्मा की रुहानी दृष्टि से अशरीरीपन की अनुभूति होती थी। संस्था के विरोधी मम्मा की दृष्टि पाते ही शांत हो जाते थे। हर घडी अंतिम घडी मम्मा का स्लोगन था।

परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते गायत्री बहन ने कहा कि परमात्मा पर यथार्थ निश्चय होने और उनके श्रीमत पर एक्यूरेट चलने वालो की सम्हाल परमात्मा स्वयं करते है। निश्चय ही जीवन को निश्चिंत बनाता है।