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brahmakumaris Tikrapara

मन मे पाप का बोझ उठाकर चलने वाले अपवित्रता से मुक्त नही: गायत्री

*नशामुक्ति के संदेश से महकी मोपका बस्ती, निजात अभियान के तहत आयोजन*

*मन मे पाप का बोझ उठाकर चलने वाले अपवित्रता से मुक्त नही: गायत्री*

बिलासपुर:शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर और सरकंडा पुलिस के द्वारा निजात अभियान के तहत मोपका बस्ती में नशामुक्ति का संदेश दिया गया। गायत्री बहन ने कहा कि अकसर बच्चे मा बाप का अनुसरण करते है इसलिए अपने घर का माहौल नशामुक्त रखिये और बच्चे सही मार्ग पर चले ऐसा आदर्श बने। ईश्वरी बहन ने कहा कि अगर नशा छोडना या छुडाना चाहते है तो सुबह 8 से 12 या शाम 5 से 9 बजे हमारे सेवाकेन्द्र जरूर आईये। भूषण भाई ने कहा कि उनके रिश्तेदार शराब छोडने के लिए कई उपाय कर थक चुके थे, शिवानी दीदी का विडियो रोज सुनकर अब नशे को पूरी तरह छोड़ चुके है। अकसर एक तर्क नशा करने वाले देते है कि अपनी कमाई से खा पी रहे है तो टोकते क्यों? एक कहानी के माध्यम से समझाया कि एक होनहार किन्तु गरीब लडका वकालत की पढाई पूरी कर वकालत करने लगा। सुशील कन्या से शादी फिर एक कन्या से घर खुशहाल था। किस्मत ऐसी कि हर मुकदमे मे जीत मिलती इससे खूब आमदनी होने लगी। अब धन का घमंड हो गया। वह ज्योतिष के पास गया और कहा कि ऐसा उपाय बताईये जिससे मै गरीब हो जाऊं। ज्योतिष ने कहा तुम्हें धन पत्नी और बच्ची के भाग्य से मिल रहा है अगर पत्नी को मारपीट कर घर से निकाल दो तो धन भी चला जायेगा। एक सप्ताह बाद फिर ज्योतिष के पास गया और कहा पत्नी से झगड़ा तो दूर मै दुसरे के मुख से उसकी बुराई सुन नही सकता तब ज्योतिष ने उसे शराब पीने की सलाह दी। फिर क्या था नशा और नशेडियो की संगति से आये दिन खिटपिट से पत्नी भी बच्ची सहित मायके चली गई, कामधंधा भी चौपट और एक माह मे घर भी बिक गया। भूषण भाई ने कहा कि धन परमात्मा का ही दिया सौगात है इसे गलत कार्य में बरबाद नही करना चाहिए। सरकंडा पुलिस से आये विजय पांडे भाई ने कहा कि पुलिस का काम ज्ञान देना नही है पर नशे की लत के कारण अपराध बढ रहे है जिसे नशेडियो के खिलाफ कार्यवाही के साथ जागरूकता लाना भी जरूरी है इसलिए पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले मे निजात अभियान चलाया जा रहा है। नशे के खिलाफ पुलिस विभाग कडी कार्यवाही कर रही है इसलिए नशेडियो से डरनेे की आवश्यकता नही है।

परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते गायत्री बहन ने कहा कि गलती या बुरा कर्म कुछ देर की होती है पर सोच सोच कर उसे बडा और दाग को गहरा कर देते है जिससे व्यर्थ सोचना संस्कार बन जाता है। एक दृष्टांत देते गायत्री बहन ने कहा कि बौद्ध भिक्षुओं के दल मे स्त्री को स्पर्श करने की मनाही थी। एक भिक्षु ने एक बीमार स्त्री को कंधे पर बिठाकर नदी पार करा दी। कई दिनों बाद इस उस भिक्षु को दल से निकालने का प्रस्ताव अन्य भिक्षुओं ने रखा। वरिष्ठ भिक्षु ने कहा कि वह तो उस घटना को भूल भी चुका है पर उसे बोझ बनाकर अभी तक जो ढो रहे हो सो पाप का बोझ तो तुम लोगों पर ज्यादा है।