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brahmakumaris Tikrapara

संतुष्टता और सरलता का संतुलन श्रेष्ठ मनुष्य की पहचान

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकाश नार्थ

*संतुष्टता और सरलता का संतुलन श्रेष्ठ मनुष्य की पहचान*

*मम्मा को देखते ही दैवीय गुणो की झलक मिलती-: ईश्वरी बहन*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर मे आदिरत्नो की विशेषताओं पर चिंतन के माध्यम से *मनोहरइंद्रा दादी जी ने मम्मा के साथ का अनुभव* सुनाते हुए ईश्वरी बहन ने कहा कि मम्मा के द्वारा परमात्मा का ज्ञान एक बार सुन लेने के बाद जिज्ञासु बार – बार आते थे, और नियमित रूप से जुड जाते थे।
दादा लेखराज की युगल यशोदा माता को मम्मा से लक्ष्मी स्वरूप का साक्षात्कार हुआ फिर उन्होंने मम्मा को यह बात बताई। जिससे स्वत ही मम्मा के व्यवहार मे गंभीरता और दैवीय गुण झलकने लगी । जो भी उनसे मिलते उन्हे मम्मा साधारण मानव नही लगती थी। ईर्ष्या, द्वेष, मान-अपमान की भावना से वह ऊपर उठ सदैव परमात्मा की याद मे लीन रहती थी।
*परमात्मा के महावाक्य* पर चिंतन करते ईश्वरी बहन ने कहा कि गृहस्थी संबंधो और साधना के लगाववश इच्छापूर्ति के लिये भटकते रहते है जिससे परमात्मा की एकरस याद रह नही पाती। जबकि ट्रस्टी भाव मे रहने से दुनिया के विनाशी प्राप्ति के लगाव से मुक्त रह एक परमात्मा की याद मे लीन रह सकते है।साथ ही जीवन मे सरलता और संतुष्टता सहज आ जाती है, यही श्रेष्ठ मनुष्य की पहचान है।