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brahmakumaris Tikrapara

स्वभाव संस्कार के टक्कर से बचने के लिए अपनी बुद्धि, दृष्टि व वाणी को सरल बनावे-ब्र. कु. शशि प्रभा

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकाश नार्थ

स्वभाव संस्कार के टक्कर से बचने के लिए अपनी बुद्धि, दृष्टि व वाणी को सरल बनावे-ब्र. कु. शशि प्रभा

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय टिकरापारा सेवा केंद्र में ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा बहन ने विशेष सतगुरुवार के दिन परमात्म महावाक्य सुनाते हुए कहा कि भगवान ज्ञान के सागर हैं और उनके सानिध्य में जो भी मनुष्य आत्माएं आती हैं वे भी मास्टर ज्ञान के सागर बन जाते हैं

आगे उन्होंने कहा जो बच्चे हंस आसन पर बैठकर हर कार्य करते हैं उनकी निर्णय शक्ति श्रेष्ठ हो जाती है जिससे वे जो भी कार्य करेंगे उसमें सफलता समाई हुई होगी। जैसे कुर्सी पर बैठकर कार्य करते हो वैसे ही बुद्धि रूपी इस आसन पर रहकर कोई भी कार्य करो तो परमात्मा की इतनी शक्ति व मदद मिलती रहेगी। संगठन में रहते चाहे कैसा भी स्वभाव, संस्कार वाला व्यक्ति हो लेकिन आपसी मतभेद या टकराव नहीं होनी चाहिए। अपनी बुद्धि, दृष्टि व वाणी को मधुर और सरल बनायें, आपस में आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना हो, किसी को भी हमारे द्वारा दुख ना मिले, हर एक आत्मा को सुख दें।

अंत में सेवा केंद्र में आए हुए सभी भाई बहनों को परमात्मा की याद में बनाई गई प्रसाद दी गईl