Connect with us
 

brahmakumaris Tikrapara

परमात्मा ज्योति स्वरूप है श्रीमद् भगवद्गीता में स्पष्ट किया गया है: -बी के मंजू

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकाशनार्थ :-

*श्रीमद् भगवद्गीता मन के विज्ञान का शास्त्र है* :-

*परमात्मा ज्योति स्वरूप है श्रीमद् भगवद्गीता में स्पष्ट किया गया है: -बी के मंजू*

बिलासपुर: जिस प्रकार हाथी का बच्चा हाथी जैसा,बिल्ली का बच्चा बिल्ली जैसा, बंदर का बच्चा बंदर जैसा, मनुष्य का बच्चा मनुष्य जैसा होता है, उसी प्रकार परमात्मा का बच्चा परमात्मा जैसा होता है। श्रीमद् भगवद्गीता पर प्रवचन देते मंजू दीदी ने कहा कि आत्मा अतिसूक्ष्म ज्योतिस्वरूप आँखो से दिखाई नही देने वाला स्वरूप है उसी प्रकार परमात्मा भी अतिसूक्ष्म ज्योतिस्वरूप है। जिसे आँखो से नही देखा जा सकता। ज्योति स्वरूप परमात्मा का वर्णन श्रीमद् भगवद्गीता में स्पष्ट किया गया है। परमात्मा का अवतरण मनुष्य आत्माओं के जन्म से भिन्न है इसलिए परमात्मा को अजन्मा, अकर्ता, अभोक्ता कहा गया है।

*परमात्म महावाक्य के नियमित श्रवण से मन की कड़वाहट समाप्त हो जाती है…*

परमात्मा का ज्ञान इतना मीठा है कि मुख से वर्णन करते मीठी वाणी ही निकलती है जिससे मन की कड़वाहट समाप्त हो जाती है। परमात्म भाव को ग्रहण करते है भोग का मीठापन तो हम स्वाद इंद्रियो से महसूस करते है। अंत में सभी को परमात्म प्रसाद वितरित किया गया।