brahmakumaris Tikrapara
माउंट आबू को तपस्या भूमि के लिये चुनने मे दादी मनमोहिनी ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

*शांति आत्मा का स्वधर्म है,शरीर से डिटेच होने पर सच्ची शांति का अनुभव होता है:बीके मंजू*
*माउंट आबू को तपस्या भूमि के लिये चुनने मे दादी मनमोहिनी ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका*
बिलासपुर: प्रभु पसंद भवन टिकरापारा में यज्ञ पूर्वजों के तपस्या पर चिंतन चल रहा है। मंजू दीदी ने बताया कि परमात्मा शिव की अवतरण भूमि भारत है। पाकिस्तान अलग होने पर यज्ञ कारोबार कराची से भारत शिफ्ट होना था। मनमोहिनी दादी को बाबा ने भारत मे उचित स्थान चयन करने की जिम्मेदारी दी। मुम्बई पुणे के आसपास बहुत स्थान देखने के बाद मनमोहिनी दादी के परिवार के पुरोहित गंगेश्वरानंद ने शास्त्र के आधार पर पांडवो की तपोभूमि अरावली पर्वत माउंट आबू को उपयुक्त बताया। मनमोहिनी दादी के प्रयास से बृजकोठी आबू मे लगभग चार सौ आदिरत्नो की टोली कराची से भारत आयी।
परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते दीदी ने कहा कि शांति सभी मनुष्यों के लिए आवश्यक है। बाहरी साधनों और संबंधों मे शांति तलाश करते और भी अशांत हो रहे है। परमात्मा कहते है आत्मा का स्वधर्म ही शांति है। शरीर से डिटेच होकर स्वधर्म मे टिकने से सच्ची शांति की अनुभूति होती है। दीदी ने कहा कि राजयोग के अभ्यास से शांति के सागर परमात्मा से जुड़कर परमशांति का अनुभव कर सकते है।