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brahmakumaris Tikrapara

परमपिता परमात्मा सर्वश्रेष्ठ काउंसलर, माता पिता भी बन सकते है अच्छे काउंसलर: बीके मंजू

*परमपिता परमात्मा सर्वश्रेष्ठ काउंसलर, माता पिता भी बन सकते है अच्छे काउंसलर: बीके मंजू*

*संगठन में चलने के लिए सरलता का गुण आवश्यक*

*आरती के साथ हुई श्रीमद भगवत गीता के दूसरे चरण की शुरुआत, सभी को भोग भी वितरित किया गया*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर मे श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे चरण की शुरुआत महाभारत गीत व गीता माता की आरती के साथ हुई। मंजू दीदी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता का प्रथम अध्याय पूरा और द्वितीय अध्याय के दस श्लोक मे अर्जुन द्वारा मन के विषाद और कमजोरीयो को परमात्मा के समक्ष सुनाने का वर्णन है। समझौते के सभी प्रयास असफल होने के बाद युद्ध के मैदान मे दोनों सेना के बीच खडा अर्जुन का मन युद्ध के परिणाम मे सिर्फ विनाश को देख हथियार डाल देता है तब परमात्मा कहते है तू उनके लिये शोक कर रहा है जो शोक करने योग्य नही। जो शरीर छोड़ चुके उनके लिये या जो शरीर नही छोड़ें उनके लिये भी पंडित अर्थात् ज्ञानी जन शोक नही करते।

आगे कहा कि आज युवा और बच्चे भी भय और निराशा के कारण डिप्रेशन मे चले जाते है। ऐसे मे काउंसिल की आवश्यकता होती है। दीदी ने कहा कि परमात्मा सबसे श्रेष्ठ काउंसलर है। वैसे माता पिता भी अच्छे काउंसलर हो सकते है लेकिन उन्हे अपने अच्छे व प्रेम पूर्वक व्यवहार से बच्चों को प्रेरणा देनी होगी। अगर माता पिता के आपसी संबंध ही मधुर नही होंगे तो बच्चों पर विपरीत प्रभाव पडेगा।

 

परमात्मा कहते है सरल स्वभाव वाले संगठन मे सहज रूप से चल सकते है। आज परिवार टूटने की वजह संबंधों मे सरलता की कमी है। दीदी ने कहा कि अर्जुन ने युद्ध से परिवार की मर्यादा नष्ट होने की आशंका जताई थी। अब परमात्मा अर्जुन के विषाद को किस प्रकार खत्म करते है इसकी चर्चा आगे की जायेगी।

अंत में दीदी ने सभी को प्रसाद दिया।