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brahmakumaris Tikrapara

परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, उन्हें ज्ञान सुनाने धरा पर आना ही पड़ता है : बीके मंजू*

*परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, उन्हें ज्ञान सुनाने धरा पर आना ही पड़ता है : बीके मंजू*

 

*आध्यात्मिकता और भौतिकता के मध्य संतुलन ही है सहजयोग*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर मे श्रीमद्भगवद्गीता पर प्रवचन चल रहा है। मंजू दीदी ने कहा कि छठवां अध्याय आत्म संयम योग है। जैसा कि पांचवे अध्याय मे परमात्मा ने स्पष्ट किया कि सन्यास घर बार नही बल्कि विकारों को छोड़ना है। छठे अध्याय मे परमात्मा योग की विधि सिखला रहे है। आगे कहा कि मन को मित्र बनाकर इंद्रियों के आकर्षण से मुक्त करना योग की पहली सीढी है। इसमे साधन का प्रयोग वर्जित नही है किन्तु भौतिकता और आध्यात्मिकता मे एक संतुलन बनाना आवश्यक है। सातवे श्लोक मे परमात्मा कहते है जो मनुष्य शीत, ताप, सुख, दुख, मान, अपमान के द्वंदो से मुक्त रहते है वही सच्चे योगी है।

 

दीदी ने कहा कि परमात्मा सर्वशक्तिमान होते भी अपने बच्चों को ज्ञान सुनाने धरा पर आना ही पडता है। और इसीलिए परमात्मा को ज्ञान का सागर भी कहा जाता है। चूंकि वे साधारण तन का आधार लेते है इसलिए सभी मनुष्य पहचान नही पाते, पर जो पहचान कर श्रेष्ठ पुरूषार्थ करते है वे इक्कीस जन्मों का प्रालब्ध बनाते है। परमात्मा कहते है इस जन्म मे भी निश्चिंत, बेफिक्र रहना है तो यह स्मृति सदा रहे कि करनकरावनहार परमात्मा है।