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brahmakumaris Tikrapara

पितर कभी श्राप नही देते, हमारे बुरे कर्म ही श्राप बनते हैं : बीके मंजू

*पितर कभी श्राप नही देते, हमारे बुरे कर्म ही श्राप बनते हैं : बीके मंजू*

*जीते जी भरपूर श्रद्धापूर्वक सेवा करे तो पितृदोष के भय से मुक्त रहेंगे*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे सतगुरुवार के दिन परमात्मा एवं पितरो को भोग स्वीकार कराया गया। मंजू दीदी ने कॉमेन्ट्री के माध्यम से योग द्वारा पितरो को श्रद्धापूर्वक स्मरण कर क्षमा मांगने एवं आगे की सुखद यात्रा के लिये परमात्मा से प्रेम की किरणें प्रवाहित कर साकार उपस्थिति का अनुभव कराया। आपने कहा कि तीन प्रकार के ऋण मनुष्य को चुकाना होता है पितृ ऋण सेवा के द्वारा, देव ऋण श्रेष्ठ कर्म के द्वारा और ऋषि ऋण परमात्म ज्ञान के प्रसार प्रचार के द्वारा।

दीदी ने स्पष्ट किया कि संपूर्ण ऋण से मुक्त होना संभव नही है पर पितृ पक्ष हमे याद दिलाता है कि हम सभी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करे, श्रेष्ठ कर्म करे और जीते जी किसी को दुख न दे। शास्त्र मे कर्ण का उल्लेख है कि स्वर्ग मे भोजन मे हीरे जवाहरात परोसे गये क्योंकि कर्ण ने जीते जी इन्ही चीजों का दान किया था। अन्न दान के लिये कर्ण को सोलह दिन पृथ्वी पर आना पडा। अंत मे सभी को भोग वितरण किया गया।