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brahmakumaris Tikrapara

*सत्संग स्थल पर ही बच्चों ने की अपने माता-पिता की पूजा, श्रीराम से लिया आदर्श*, *सभी की आंखें हुई नम*

*हे मात पिता तुम्हे वंदन मैंने किस्मत से तुम्हें पाया…* 
 
 *ब्रह्मा कुमारीज राजकिशोर नगर में दिखा रामायण का व्यावहारिक स्वरूप* 
 
 *सत्संग स्थल पर ही बच्चों ने की अपने माता-पिता की पूजा, श्रीराम से लिया आदर्श*, *सभी की आंखें हुई नम* 
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राज किशोर नगर मे चल रहे नवधा रामायण में ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी जी से श्रीराम का चरित्र सुनकर बच्चों ने अपने माता-पिता की आरती उतारी और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। मुझे इस दुनिया में लाया, मुझे बोलना चलना सिखाया, हे मात पिता तुम्हे वंदन, मैंने किस्मत से तुम्हें पाया… इस भाव के साथ एकत्रित सभी अभिभावक की पूजा करते हुए उनकी संतान व पूरी सभा की आंखें हुई नम।
 गौरी बहन ने भी “ये तो सच है कि भगवान् है…….” गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर सभी को भावुक कर दिया और कई के आंसू थम नहीं रहे थे ।
 ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कहा कि आज दुनिया प्रत्यक्ष प्रमाण को ही देखती है इसलिए स्कूलों में साइंस कॉमर्स अंग्रेजी जैसे विषयों को महत्व दिया जाता है और तो और अभिभावक भी यही चाहते है। किन्तु अच्छे संस्कार जब प्रत्यक्ष होते है तभी माँ बाप को सच्ची खुशी महसूस होती है। इसके लिए मोरल एजुकेशन की कक्षा जरूरी है।
एक सच्ची घटना का दीदी ने उल्लेख किया कि किस प्रकार एक जज ने अपने पत्नी बच्चों को छोड़ने का फैसला लेने मजबूर हो गये क्योंकि उनके वृद्ध माँ को पत्नी बच्चे वृद्धाश्रम छोड़ आये थे।
रामायण के अयोध्या कांड से प्रसंग उठाते दीदी ने कहा कि श्रीराम को वनवास जाने की आज्ञा प्राप्त होने पर भी माता(कैकेयी) एवं पिता के प्रति विपरीत संकल्प भी नही उठा। रामायण मे वर्णित घटनाओं को वर्तमान संगमयुग के परिप्रेक्ष्य मे देखने पर पाते है कि दादा लेखराज परमात्मा शिव की प्रेरणा से लगभग साढे तीन सौ तपस्वियों के साथ 1936 से 1950 तक चौदह वर्ष गहन तप किया जिसका विराट रूप प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्व विद्यालय के रूप मे आज विश्व देख रहा है।
एक दृष्टांत मे दीदी ने कहा कि एक माँ जो कानी और कुरूप थी पर अपमान सहकर भी अपने पुत्र को उंची शिक्षा देकर बड़ा अधिकारी बनाया । देह त्यागने पर पुत्र को पता चला कि बचपन मे दुर्घटना में उसकी एक आंख चली गई थी और माँ ने अपनी एक आंख दान कर उसके जीवन मे कोई कमी होने नही दी। लेकिन अब वह पश्चाताप के अलावा कुछ कर नही सका। इसलिए माता – पिता के जीते जी ही सभी उनका सम्मान करें, सेवा करें, उनके साथ समय बितायें।
आज भी लव कुश द्वारा राम कथा की प्रस्तुति ने सबको भाव विभोर कर दिया।
सभी को गुरुवार का भोग वितरित किया गया।शुक्रवार को भाई भाई के आपसी संबंध कैसे हों और भाई के प्रति श्रीराम का चरित्र कैसा रहा, इसका चिंतन सुनाया जाएगा।
 आज के कार्यक्रम की वीडियो लिंक