*भाई के प्रति नि:शर्त प्रेम रखने की प्रेरणा देता है रामायण: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*बड़ों के दिखाए मार्ग पर चलना ही चरण पादुका पूजन है*
*समाज के नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान के लिए तन-मन-धन, समय-श्वास-संकल्प और मन वाणी और कर्म का समर्पण करने वाले भाईयों का सम्मान किया गया*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे आज श्रीराम के चरित्र की प्रेरणा से ईश्वरीय परिवार से जुड़े वरिष्ठ भाईयों की अथक सेवा और अपनी विशेषताओं को परमात्म कार्य में लगाकर अनेक आत्माओं के कल्याण के निमित्त बनने की विशेषता के कारण सम्मान किया गया।
ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने बतलाया कि गृहस्थ में रहने वाले भाइयों ने तो डबल जिम्मेदारी निभाई है। अपने लौकिक कार्य को जिम्मेदारी पूर्वक
संभालते हुए भी ईश्वरीय सेवा में सहयोगी बनने की डबल जिम्मेदारी निभाई है।
मंजू दीदी के लौकिक पिता बल्हाल जी, भ्राता संदीप भाई, राकेश भाई, जनकराम छत्री भाई, आजूराम भाई, श्यामलाल गुप्ता भाई, भूषण वर्मा , रामसनेही भाई, सुरेश भाई, पी चौधरी भाई, प्रणव सरकार भाई, उत्तम भाई, अमर भाई, बंटी भाई का मंजू दीदी एवं बहनों ने तिलक, पगड़ी, हार और आरती से सम्मान किया और ईश्वरीय सौगात दी।
मंजू दीदी ने कहा कि अलौकिक परिवार मे भाईयों के स्नेह सहयोग से सेवाकेन्द्र टिकरापारा के एक छोटे से गीता पाठशाला से शुरू होकर आज इस स्थिति मे पहुंच गया है।
भरत द्वारा श्रीराम के चरण पादुका राजसिहासन पर रख राज्य करने का अर्थ है कि राज-पाट को अमानत समझ श्री राम के आदर्शों पर चले।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की सेवाओं की शुरुआत में दादियों ने भी विपरीत परिस्थितियों में भी अचल अडोल रहकर ईश्वरीय सेवा को बढाया। उनके दिखाये मार्ग पर चलना ही चरण पादुका पूजना है।
श्रीराम का भरत के प्रति अटूट स्नेह को कुछ समय के लिये लक्ष्मण भी समझ नहीं पाये। लक्ष्मण के मुर्छित होने पर एक माँ की तरह सम्हाल और चौदह वर्ष समाप्त होते ही अयोध्या पहुचने भरत को दिये वचन को निभाना भाई भाई के प्रति आदर्श प्रेम की प्रेरणा देता है।
दीदी ने कहा छत्रपति शिवाजी ने भी समर्थ गुरु रामदास को राज-पाट सहित सभी संपदा दान कर गुरु के कहने पर उनके प्रतिनिधि के रूप मे चरण पादुका को रख राज्य कारोबार किया।
मंजू दीदी ने बतलाया कि रविवार शाम को जल जन मिशन के तहत मनाये जा रहे जल संरक्षण पर विशेष आयोजन किया जायेगा।