brahmakumaris Tikrapara
सात्विक भोजन को विश्व प्रसिद्ध किया महावीर जी ने

*बारह वर्षों के कठिन तप से चोबीसवे तीर्थंकर वर्धमान बने महावीरः बीके गायत्री*
*सात्विक भोजन को विश्व प्रसिद्ध किया महावीर जी ने*
अहिंसा व अपरिग्रह से पूरे विश्व को शान्ति का संदेश दिया…
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे आज बीके गायत्री बहन ने तीर्थंकर महावीर स्वामी के जीवन पर प्रकाश डालते कहा कि बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि संपन्न राजकुमार वर्धमान ने अपने जीवन मे अहिंसा और अपरिग्रह को अपनाकर पुरे विश्व को शांति का संदेश दिया। आज विपरीत परिस्थितियों में भी जैन मुनि पंचशील के सिद्धांतों का कठोरता से पालन करते है। खान पान मे सात्विक भोजन पर निर्भर रहने के कारण आज जैन फूड प्रायः सभी जगह सुलभ है जो समाज की ताकत दिखाता है। गायत्री बहन ने कहा कि जिस परमात्मा को पाने हमारे महापुरुषों ने कठिन तप किये, वही परमात्मा हमे सहज प्राप्त हो गये। परमात्मा को पिता के रूप मे याद करने से हम सहज ही सभी बोझ से मुक्त हो जाते है।
दीदी ने कहा कि सभी संबंधी भी उस परमात्मा की संतान है तो सेवा भाव से ट्रस्टी होकर संबंध निभाना है। पवित्रता को यथार्थ रूप मे धारण करना है अर्थात संकल्प मे भी अपवित्रता न हो तभी हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त सफल होंगे।