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brahmakumaris Tikrapara

परमात्मा के कर्तव्य मनुष्य आत्माओं के कर्तव्य से भिन्न है: बीके गायत्री बहन

*परमात्मा के कर्तव्य मनुष्य आत्माओं के कर्तव्य से भिन्न है: बीके गायत्री बहन*

 

हनुमान जन्मोत्सव पर सजेगी जीवंत झांकी, हनुमान जी के चरित्र पर चिंतन सुनाई जाएगी

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन ने कहा कि भले ही मनुष्य आत्माये कितना भी श्रेष्ठ कर्म कर ले किन्तु इस दुख भरे कलयुगी दुनिया को सतयुग मे बदलने का कार्य परमात्मा ही कर सकते है। इसलिए परमात्मा की तुलना सागर से की जाती है। परमात्मा को ही ज्ञान का सागर कहा जाता है क्योंकि कलयुग के अंत मे आकर हमे श्रेष्ठ कर्म करने का ज्ञान देते है। यही श्रेष्ठ ईश्वरीय मत ही ज्ञान का तीसरा नेत्र है। सभी धर्मों की स्थापना का आधार पवित्रता ही है। पवित्र आत्माये ही पूजा के योग्य बनती है। परमात्मा एक ही है इस पर दृढ़ निश्चय होने से ज्ञान मे संशय नही आ सकता।

 

दीदी ने कहा कि आज परमात्मा ने मस्तक मणि अनुभव करने का वरदान दिया अर्थात शरीर मे ऊँचा स्थान मस्तक और तीनो लोको मे ऊँचा स्थान परमधाम, ऐसे ऊंची स्थिति की स्मृति ही मस्तक मणि आनंददायक स्थिति है। मै और मेरा पन हमे अहंकार मे लाता है। परमात्मा के दिये धन को दान करते समय अपने नाम का गुणगान मै पन मे ले आता है। इस मेरे को तेरा तुझको अर्पण कर दे तो बेफिक्र बादशाह बन सकते है।

 

सेवाकेन्द्र के मीडिया प्रभाग के सदस्य बी एल वर्मा जी ने बतलाया कि कल हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर सेवाकेन्द्र में हनुमानजी की जीवंत झांकी सजाई जाएगी और उनके चरित्र पर चिंतन सुनाया जाएगा…।