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brahmakumaris Tikrapara

कर्मभोग के समय परमात्मा हमे अपनी गोद मे उठा लेते है: ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन**

*कर्मभोग के समय परमात्मा हमे अपनी गोद मे उठा लेते है: ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन**

 

*मनुष्य सृष्टि रूपी वृक्ष का बीज परमात्मा हैं…*

बिलासपुर: किसी भी वृक्ष की उत्पत्ति बीज से होती है और समय चक्र पूरा होने पर अंतिम अवस्था बीज ही होती है, पर पूरे समय बीज गुप्त रहता है। इसी प्रकार आत्मा बीज शरीर धारण कर कर्म करती है और समय पूरा होने पर शरीर त्याग पुनः आत्मा रूप मे आ जाती है। आत्मा गुप्त होने के कारण हम अपने को ही भूल चुके है।

 

शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे आज ये बाते बताते बीके गायत्री बहन ने कही कि इस मनुष्य सृष्टि रूपी वृक्ष का बीज परमात्मा है। जब वापस घर परमधाम जाने का समय आता है तो परमात्मा आकर हमे कर्मभोग पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देते है। एक दृष्टांत देते गायत्री बहन ने कहा कि एक व्यक्ति भगवान को दोस्त बनाकर रोज बाते करते समुद्र किनारे टहलता था और पलट कर चार पैरो के निशान देख खुश होता कि भगवान मेरे साथ है। अचानक दुःख आने पर ईश्वर से बातें करते जब पलट कर देखा तो दो पैरो के निशान दिखे। दुखी मन से वह उलाहना देने लगा कि दुख के समय में आपने भी साथ छोड़ दिया तब भगवान की आवाज़ आई मेरे दोस्त ध्यान से देख, ये दोनों पैर के निशान मेरे ही है। मुसीबत मे मैने तुम्हें अपनी गोद मे उठा लिया था।

 

गायत्री बहन ने कहा कि परमात्मा से जब हमने अपने चौरासी जन्मों का रहस्य जाना कि कैसे सतयुग में हम देवतायी गुण वाले थे। जीवन यात्रा के अंत में पाप कर्मो को भोगने का समय आता है तो परमात्मा स्वयं हमें राजयोग सिखाकर शक्ति देते हैं और इसी शक्ति से हम मानव को देव समान बनाने की ईश्वरीय सेवा में व्यस्त रहते हैं।