brahmakumaris Tikrapara
खुशी में रहने के लिए स्वयं से बात करना जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू*

*खुशी में रहने के लिए स्वयं से बात करना जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू*
*कछुए से लें कर्मयोगी जीवन की प्रेरणा*
बिलासपुर: प्रभुदर्शन भवन टिकरापारा माउंट आबू से लौटी बीके मंजू दीदी ने परमात्मा को भोग अर्पण कराया। अपने को खुश रखने के लिए दीदी ने कहा कि स्वयं से बात करना जरूरी है। सुबह के समय जो भी ज्ञान की बातें हम सुनते हैं उन बातों को दिनभर की दिनचर्या में बीच बीच में अपने को याद दिलाएं, मनन – चिंतन – मंथन करें तो समस्या की बातें भूलती जाएंगी व ख़ुशी की अवस्था बनी रहेगी।
कछुआ भी है तो पशु किन्तु जब कर्म का समय होता है तब उसके अंग बाहर होते हैं और कार्य ना होने पर अंगों को समेट लेना यह कर्म और योग का संतुलन बताता है।
दीदी ने कहा कि सृष्टि के प्रारंभ का रहस्य धर्म शास्त्रो, वैज्ञानिक प्रयोगों के माध्यम से जानने का प्रयास सभी यथाशक्ति कर रहे है। परमात्मा कहते है कि प्रजापिता ब्रह्मा के तन का आधार लेकर अर्थात एडाप्ट करके मै सत्य ज्ञान और राजयोग सिखाता हूँ। यही ब्रह्मा आदिदेव है और यह छोटा सा युग संगमयुग सृष्टि का आदि समय है। इसी समय का उल्लेख सभी धर्म शास्त्रो मे है। परमात्मा गारंटी करते है कि राजयोग से अगर संपूर्ण पवित्र बने तो मै नैनो के पलकों मे बिठाकर अपने घर शान्तिधाम, मुक्तिधाम या परमधाम ले चलूंगा।