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brahmakumaris Tikrapara

पूर्व जन्मो के कर्मबंधनो को स्नेहपूर्वक निभाना श्रेष्ठ है : बीके मंजू

*पूर्व जन्मो के कर्मबंधनो को स्नेहपूर्वक निभाना श्रेष्ठ है : बीके मंजू*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे श्राद्ध भोग की विधि एवं विधान पर प्रवचन चल रहा है। दीदी ने कहा कि कई आत्माएं जीवन के अंतिम दिनो मे भोजन ग्रहण नही कर पाती है और अतृप्त लालसा को लेकर अगला जन्म लेती है तो श्राद्ध खिलाने से दिवंगत आत्मा सूक्ष्म रूप मे भासना लेकर तृप्ति का अनुभव करती है। भोजन मे स्वाद के साथ शुद्धता और विधि एवं विधान से प्रभु अर्पण जरूरी है।दीदी ने कहा कि आज के महावाक्य मे परमात्मा ने पुनर्जन्म के रहस्यों को स्पष्ट किया है कि जिन धर्मपिताओ ने अपने धर्म की स्थापना की उनकी पालना के लिये पुनर्जन्म के चक्र मे आते है और भिन्न नामरूप मे सृष्टि मे है। आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना परमात्मा स्वयं करते है सिर्फ परमात्मा ही सदैव परमधाम के निवासी है वे जन्म-मरण के चक्र मे नही आते इसलिए सदैव उन्हें उपर याद करते है। परमात्मा कहते है हर मनुष्य आत्मा का मूल स्वभाव मेरे समान शीतल है। दीदी ने कहा कि अपने को स्मृति से परमात्मा के समीप अनुभव करने से परमात्मा के गुण स्वतः आ जाते है। जो रूहानी शान मे रहते है वे कभी हद के मान शान मे नही आ सकते।