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brahmakumaris Tikrapara

राजयोग मे शांति की शक्ति के प्रयोग से तन, मन और संस्कार मे सकारात्मक परिवर्तन आता है: बीके मंजू

  • *राजयोग मे शांति की शक्ति के प्रयोग से तन, मन और संस्कार मे सकारात्मक परिवर्तन आता है: बीके मंजू*

*आहार की शुद्धता तंदुरुस्ती के साथ मनन चिंतन शक्ति के लिये आवश्यक*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे भोग की विधि एवं विधान पर प्रवचन चल रहा है। मंजू दीदी ने कहा कि “जैसा खाये अन्न वैसा बने मन” आज वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार कर लिया है। सात्विक भोजन से मन शांत और स्थिर रहता है जो आज की परिस्थितियों के लिये अति आवश्यक है। भोजन, व्यायाम, आसन, प्राणायाम, योग से शरीर मे उत्पन्न होने वाले हार्मोन्स का मन की स्थिति पर प्रभाव पडता है और खुशी, आनंद का अनुभव होता है। इसके विपरीत मिर्च मसालेदार राजसी भोजन से अल्पकाल के लिये सुख का अनुभव होता है किन्तु मन और शरीर का पोषण नही हो पाता जबकि मांसाहार, नशीले, बासी आदि तामसिक भोजन से दुःख अवनति की प्राप्ति होती है।